150 महिलाओं को ढाक के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाया गोकुल चंद्र दास ने

कला के क्षेत्र में (संगीत ढाक) में मिला पद्मश्री
150 महिलाओं को ढाक के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाया गोकुल चंद्र दास ने
Published on

सन्मार्ग संवाददाता

कोलकाता : पश्चिम बंगाल के गोकुल चंद्र दास (57) को कला के क्षेत्र में (संगीत ढाक) पद्मश्री से नवाजा गया। बंगाल के उत्तर 24 परगना के हाबरा मछलंदपुर निवासी गोकुल ढाक वादक ने 150 से अधिक महिलाओं को ढाक में प्रशिक्षित करके लैंगिक रूढ़िवादिता को तोड़ते हुए उन्हें आत्मनिर्भर बनाया। ढाक जो कि पारंपरिक रूप से पुरुष प्रधान क्षेत्र रहा है वहां गोकुल ने इस सोच को बदल डाला। उन्होंने महिलाओं की ढाक मंडली शुरू की और ढाक के क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी को बढ़ावा देकर कमाल कर दिखाया। इसके लिए उन्होंने आमूल परिवर्तन करते हुए पारंपरिक भारी लकड़ी के ढाक के बजाय 1.5 किलोग्राम कम वजन का हल्का ढाक बनाया। जाति-संबंधी भेदभाव का सामना करने के बावजूद उन्होंने ढाक के सौंदर्य कलात्मक महत्व को बढ़ावा दिया। ढाक को उन्हाेंने मुख्यधारा के संगीत में अनूठी पहचान देते हुए हॉलीवुड, लॉस एंजिल्स में, पंडित रविशंकर और उस्ताद जाकिर हुसैन के साथ यूएसए में प्रदर्शन करते हुए इसे विश्व स्तर पर दर्शाते हुए देश का प्रतिनिधित्व किया। उन्होंने मछलंदपुर में मोतीलाल ढाकी डॉट कॉम की स्थापना की, जो महिलाओं और पुरुषों दोनों को ढाक सिखाने के लिए समर्पित एक गैर सरकारी संगठन है। ढाक वादने दुर्गा पूजा की परंपरा का अभिन्न अंग इस परंपरा में उन्होंने महिलाओं को भी शामिल कर दिखाया। उनको पद्मश्री से नवाजे जाने पर सभी को गर्व है।

संबंधित समाचार

No stories found.

कोलकाता सिटी

No stories found.

खेल

No stories found.
logo
Sanmarg Hindi daily
sanmarg.in