सोमवार को अर्पिता मुखर्जी की जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान कहा
जमानत याचिका पर बुधवार को आएगा फैसला
मुख्य बातें
ईडी की वकील ने दी यह दलील : अर्पिता के फ्लैट में जबरन रुपये व गहने पार्थ ने अगर रखवा भी दिये थे तो अर्पिता ने थाने में इसकी शिकायत दर्ज क्यों नहीं करवायी ? क्या अर्पिता ने इसका कभी विरोध किया था? अर्पिता सब कुछ जानकर भी चुप थी और आराम की जिंदगी गुजारने के लिए पार्थ के षड्यंत्र में बराबर उनका साथ दे रही थी।
सन्मार्ग संवाददाता
कोलकाता : एसएससी नियुक्ति घोटाले में पार्थ चटर्जी की करीबी दोस्त अर्पिता मुखर्जी की तरफ से गिरफ्तारी के करीब 10 महीने के बाद अदालत में जमानत याचिका की दायर की गयी। सुनवाई के लिए सोमवार को अर्पिता को सोमवार को बैंकशाल कोर्ट की विशेष अदालत में पेश किया गया था। इस दौरान पूरे घोटाले के लिए अर्पिता के वकील ने पार्थ चटर्जी को जिम्मेदार ठहराया। इस दिन सुप्रीम कोर्ट की वकील वृंदा ग्रोवर ने अर्पिता के पक्ष में सवाल करते हुए अदालत में दावा किया कि पार्थ चटर्जी ही एसएससी नियुक्ति घोटले के मास्टरमाइंड हैं। उन्होंने कहा कि इसके असली मुजरिम पार्थ चटर्जी है।
रुपयों के स्रोत के बारे में उन्हें जानकारी नहीं थी
अर्पिता को इस बारे में पहले से कुछ भी जानकारी नहीं थी। इस दलील के आधार पर अर्पिता के वकील ने अर्पिता को जमानत पर रिहा करने का आवेदन किया। इधर, इडी ने इसका कड़ा विरोध किया है। अर्पिता मुखर्जी के वकील वृंदा ग्रोवर ने अदालत में कहा कि पूरे भ्रष्टाचार का मास्टरमाइंड कौन है, यह देखा जाना चाहिए। अर्पिता को सोमवार को कोर्ट में पेश किया गया था। इससे पहले उनकी वर्चुअल पेशी हुआ करती थी। इससे पहले वाली पेशी के दौरान पार्थ चटर्जी और उनके बीच में वर्चुअल पेशी के दौरान बातचीत हुई थी। जिसमें कि दोनों ने एक दूसरे का हाल चाल पूछा था। उस दौरान पार्थ चटर्जी ने हाथों से हार्ट का शेप बनाकर उन्हें दिखाया था। जिस पर वह शर्मा गयी थी।
ईडी के वकील ने बताया – बराबर की हैं अर्पिता जिम्मेदार
वहीं ईडी के वकील ने जमानत का कड़ा विरोध करते हुए कहा कि अर्पिता के क्लब टाउन में स्थित फ्लैट से करोड़ों रुपये की प्रोपर्टी एवं गहने बरामद हुए। अर्पिता का कहना है कि उसे यह सब कुछ भी पता नहीं था। अर्पिता के फ्लैट में जबरन रुपये व गहने पार्थ ने रखवा दिये, अगर यह सही है तो अर्पिता ने क्या इस राज्य के किसी भी थाने में इसकी शिकायत दर्ज करायी है, क्या अर्पिता ने इसका कभी विरोध किया था? अर्पिता सब कुछ जानकर भी चुप थी और आराम की जिंदगी गुजारने के लिए पार्थ के षड्यंत्र में बराबर उनका साथ दे रही थी। इसके कारण वह भी इस मामले में उतनी ही शामिल हैं, जितना पार्थ। इसके कारण उसकी जमानत याचिका खारिज की जाये ? दोनों पक्ष की बातों को सुनकर अदालत ने फैसला सुरक्षित रखा है। इस मामले पर फैसला बुधवार को आने की उम्मीद है।
दो और लोगों के नाम सामने आये
पार्थ चटर्जी को छोड़कर मनोज जैन और कमल सिंह भूतोड़िया नामक दो लोगों के नाम भी जांच में सामने आये हैं। अब तक उनकी गिरफ्तारी नहीं हो सकी है। पार्थ चटर्जी और उनकी बेटी सोहिनी के साथ दामाद ने पूरी कंपनी को नियंत्रित किया। पार्थ और उनके परिवार के सदस्य कुछ फर्जी कंपनी से पूरा लाभ लेते थे। अर्पिता मुखर्जी का इस कंपनी पर कोई नियंत्रण नहीं था। घोटाले को लेकर पूरा गेम प्लान पार्थ चटर्जी का है।
कोर्ट में पूर्व मंत्री की करीबी दोस्त ने कहा – असली मुजरिम है पार्थ
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