पिंग पांग कैथेटर्स और रेंडेजेवस तकनीक आयी काम
सन्मार्ग संवाददाता
कोलकाता : फोर्टिस आनंदपुर ने एक 74 वर्षीय व्यक्ति को पूरी तरह ठीक किया। उसकी कोरोनरी आर्टरी पूरी तरह ब्लाॅक हो गयी थी जिसे पिंग पोंग कैथेटर और रेंडेजेवस तकनीक की मदद से ठीक किया गया। इस प्रक्रिया को सीनियर कार्डियोलॉजिस्ट की टीम ने फोर्टिस आनंदपुर के कार्डियोलॉजी के डायरेक्टर डॉ. सुशोभन राय के नेतृत्व में पूरा किया गया। मरीज को सांस की कई तरह की बीमारियों के साथ भर्ती किया गया था। जांच में क्रोनिक ऑब्स्ट्रक्टिव पल्मोनरी डिसीज की बात सामने आयी, इसके अलावा हाइपरटेंशन और हार्ट फेल्योर जैसी समस्याएं भी थीं। हार्ट को 3 प्रमुख आर्टरी से खून मिलता है जिन्हें कोरोनरी आर्टरी कहते हैं। इस मालमे में मरीज का हार्ट स्ट्रक्चर अस्वाभाविक था क्योंकि उसकी केवल 2 कोरोनरी आर्टरी थी जबकि आर्टरी 3 होनी चाहिये। वहीं जांच में सामने आया कि उसकी एक अथवा दोनों आर्टरी में 100% ब्लॉकेज था जिसे तुरंत इलाज की आवश्यकता थी। मरीज के लंग्स खराब होने के कारण बाइपास सर्जरी का विकल्प भी नहीं था। इस कारण डॉक्टरों ने पिंग पांग प्रक्रिया अपनायी। डॉ. सुशोभन राय ने कहा, ‘पहले मरीज को पल्मोनरी विभाग में सीओपीडी, टाइप 1 रेस्पिरेटरी फेल्योर, हाइपरटेंशन, रिकरेंट हार्ट फेल्यारे और कोरोनरी आर्टरी डिसीज के साथ भर्ती कराया गया था। 2 साल पहले मरीज शहर के एक दूसरे अस्पताल में भर्ती हुआ था जहां उसकी एंजियोप्लास्टी की गयी थी, लेकिन वह सफल नहीं हुई। 2 साल बाद फोर्टिस आनंदपुर में भर्ती होने के बाद दोनों कोरोनरी आर्टरी में 100% ब्लॉकेज का पता चला।’ क्या है पिंग पांग प्रोसिड्योर डॉ. के अनुसार, ‘प्रक्रिया के दौरान गड़बड़ी रोकने के लिये हमें दो कैथेटर्स एक ही समय में डालना पड़ा, एक कैथेटर रक्त प्रवाह की दिशा में और दूसरा विपरीत दिशा में डाला गया। इसे ही पिंग पांग प्रक्रिया कहते हैं। वहीं दोनों कैथेटर जिस प्वाइंट पर मीट करते हैं, उसे रेंडेजेवस तकनीक कहते हैं। इसके बाद हम स्टेंट प्लेस करने और ब्लॉकेज हटाने में सफल हुए। इसे सर्जरी की पिंग पांग प्रक्रिया कहते हैं और पूर्वी भारत में यह पहली बार हुआ है।’ इसके बाद मरीज ठीक हो गया और एक सप्ताह के अंदर उसकी छुट्टी भी हो गयी। मरीज पूरी तरह ठीक है और रोजाना के कार्य भी कर सकता है।