कोलकाता: पश्चिम बंगाल के न्यू जलपाईगुड़ी के पास 17 जून को हुए ट्रेन हादसे ने देशवासियों को झकझोर कर रख दिया। हादसे की शुरुआती जांच से पता चला है कि न्यू जलपाईगुड़ी रेल मंडल के परिचालन विभाग और मालगाड़ी के चालक दल की ओर से चूक हुई थी, जिससे यात्री ट्रेन से मालगाड़ी टकरा गई। पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग जिले में सोमवार को खड़ी सियालदह जाने वाली कंचनजंगा एक्सप्रेस से टकरा जाने के बाद यात्री ट्रेन के गार्ड और मालगाड़ी के पायलट सहित कम से कम 10 लोगों की मौत हो गई।
अधिकारी ने बताया कि यह टक्कर न्यू जलपाईगुड़ी स्टेशन से 30 KM दूर रंगपानी स्टेशन के पास हुई, जिससे सुबह 8:55 बजे मालगाड़ी के इंजन की चपेट में आने से कंचनजंगा एक्सप्रेस के पीछे के 4 डिब्बे पटरी से उतर गए। दुर्घटना के तुरंत बाद रेलवे बोर्ड की अध्यक्ष जया वर्मा सिन्हा ने कहा था कि टक्कर इसलिए हुई, क्योंकि मालगाड़ी ने सिग्नल की अनदेखी की। रेलवे सुरक्षा आयुक्त (सीआरएस) ने दुर्घटना के कारणों की जांच शुरू कर दी है।
जांच टीम की रिपोर्ट आई सामने
रेलवे ने छह वरिष्ठ अधिकारियों की एक जांच टीम भी गठित की है, जिन्होंने अपनी प्रारंभिक रिपोर्ट दाखिल की है। इस रिपोर्ट के मुताबिक, पांच अधिकारियों ने पाया है कि हादसे में मालगाड़ी के ड्राइवर ने सिग्नल के साथ-साथ स्पीड लिमिट का उल्लंघन किया। वहीं, एक अधिकारी का कहना है कि न्यू जलपाईगुड़ी रेल डिविजन के परिचालन विभाग की लापरवाही है। रानीपत्रा (RNI) और छत्तरहाट जंक्शन (CAT) के बीच रूट को सुरक्षा के लिए पर्याप्त कदम नहीं उठा सका।
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चालक ने नियमों का पालन नहीं किया?
जांच समिति के अधिकतर सदस्यों का मानना है कि मालगाड़ी के चालक ने नियमों का पालन नहीं किया और खतरनाक तरीके से ऑटोमैटिक सिग्नल को पार किया। साथ ही ट्रेन की स्पीड की नियमों से ज्यादा रखी, जिसके चलते दोनों ट्रेनों की टक्कर हुई। हादसे के बाद न्यू जलपाईगुड़ी डिविजन के चीफ लोको इंस्पेक्टर ने बताया कि 17 जून की सुबह 5:50 बजे ऑटोमैटिक और सेमी ऑटोमैटिक सिग्नल काम नहीं कर रहे थे। ऐसी स्थिति में नियमों के मुताबिक, पूरे सेक्शन (रानीपात्रा से लेकर छतरहाट जंक्शन) को पूरी तरह से ब्लॉक सिस्टम में बदला जाना चाहिए था और सेक्शन पर एक समय में एक ही ट्रेन को गुजरने की अनुमति दी जानी चाहिए थी।
जांच रिपोर्ट में क्या कहा गया है?
जांच रिपोर्ट के अनुसार, कंचनजंघा एक्सप्रेस सुबह 8:27 बजे रानीपात्रा स्टेशन से निकली थी और सिग्नल खराब होने की वजह से उसे टी/ए 912 और टी369 फॉर्म जारी किए गए थे। टी/ए 912 फॉर्म जारी होने का मतलब होता है कि ट्रेन सभी लाल सिग्नल को पार कर सकती है। वहीं, दूसरी तरफ फॉर्म टी369 जारी होने का मतलब होता है कि ट्रेन दो सिग्नल तुरंत पार कर सकती है, लेकिन उसकी स्पीड 15 KM प्रतिघंटे तक होनी चाहिए। जांच में खुलासा हुआ कि मालगाड़ी को भी उसी अथॉरिटी ने ये फॉर्म जारी किए और वो भी सिर्फ 15 मिनट के अंतराल पर सुबह 8.42 बजे। रिपोर्ट में बताया गया है कि कंचनजंघा एक्सप्रेस एक खराब सिग्नल पर रुककर इंतजार कर रही थी, तभी मालगाड़ी ने पीछे से आकर टक्कर मार दी। इस टक्कर से मालगाड़ी के पांच कोच और 11 बोगियां क्षतिग्रस्त हुईं। हालांकि, जांच रिपोर्ट में यह नहीं बताया गया है कि जब मालगाड़ी ने कंचनजंघा को टक्कर मारी तो उस वक्त मालगाड़ी की स्पीड क्या थी? अब रेलवे सुरक्षा आयुक्त गहराई से जांच कर रहे हैं।