फर्जी मतदाताओं की पहचान प्रक्रिया शुरू करेगा चुनाव आयोग

आधार कार्ड को वोटर कार्ड से लिंक करने पर विचार कर रहा चुनाव आयोग, केंद्रीय स्तर पर डिजिटल फॉर्मेट में तैयार किए जाएंगे वोटर आई- डी
Election Commission
निर्वाचन आयोगप्र‌तिकात्मक तस्वीर
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कोलकाता : आगामी विधानसभा चुनावों से पहले मतदाता सूची को त्रुटिरहित और पारदर्शी बनाने की दिशा में चुनाव आयोग ने बड़ा कदम उठाया है। राज्य के मुख्य चुनाव अधिकारी कार्यालय ने 100 विधानसभा क्षेत्रों को चिन्हित कर वहां अवैध और फर्जी मतदाताओं की पहचान की प्रक्रिया शुरू कर दी है। इन चिन्हित विधानसभाओं में अधिकांश क्षेत्र अंतरराष्ट्रीय सीमा या अंतरराज्यीय सीमा से संलग्न हैं। सूत्रों के अनुसार इन इलाकों में अवैध रूप से घुसपैठ कर मतदाता सूची में नाम दर्ज कराने की घटनाएं हो रही हैं । मुख्य चुनाव अधिकारी कार्यालय द्वारा की गई हालिया सर्वे रिपोर्ट में सामने आया है कि कूचबिहार, जलपाईगुड़ी, मालदह, उत्तर दिनाजपुर, मुर्शिदाबाद, नदिया और उत्तर व दक्षिण 24 परगना जिलों में फर्जी मतदाताओं की संख्या सर्वाधिक है। वहीं दार्जिलिंग, कालिम्पोंग, झाड़ग्राम, बांकुड़ा, पश्चिम मिदनापुर और कोलकाता जैसे जिलों में इनकी संख्या अपेक्षाकृत कम है।

पूर्व बर्दवान, पश्चिम बर्दवान, बीरभूम, हावड़ा और हुगली जैसे जिलों में भी बड़ी संख्या में अवैध मतदाताओं के नाम सूची में दर्ज पाए गए हैं। चुनाव आयोग के अनुसार, मृत व्यक्तियों के नाम सूची से हटाए नहीं गए हैं, कई मामलों में एक ही व्यक्ति के नाम दो अलग-अलग जिलों की मतदाता सूची में दर्ज हैं। साथ ही कुछ मामलों में अस्तित्वहीन पते के आधार पर भी वोटर कार्ड बनवाए गए हैं। इन अनियमितताओं पर रोक लगाने के लिए चुनाव आयोग ने तय किया है कि अब मतदाता पहचान पत्र राज्य स्तर पर नहीं, बल्कि केंद्रीय स्तर पर डिजिटल फॉर्मेट में तैयार किए जाएंगे और सीधे मतदाता के पते पर भेजे जाएंगे। इसके अलावा आधार कार्ड को वोटर कार्ड से लिंक करने पर भी गंभीरता से विचार किया जा रहा है। साथ ही भविष्य में मतदान केंद्रों पर बायोमेट्रिक प्रणाली लागू करने की योजना भी बनाई जा रही है।

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