‘चारों तरफ बिखरे थे शरीर के हिस्से, पटरियों पर बह रही थी खून की नदियां’

‘चारों तरफ बिखरे थे शरीर के हिस्से, पटरियों पर बह रही थी खून की नदियां’
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सन्मार्ग संवाददाता
कोलकाता : कहते हैं, 'जाको राखे साईयां मार सके न कोई।' कोई दूसरे राज्य में काम करने तो कोई अपना या अपने किसी परिजन का इलाज करने तो कोई अन्य कारणों से ट्रेन का सफर करने वाले 200 से अधिक लोगों को यह नहीं पता था कि चंद मिनटों में ही उनकी जीवन लीला समाप्त हो जायेगी। हालांकि इस भयावह ट्रेन हादसे में कुछ लोग बच गये हैं जिन्होंने ऐसा सोचा भी नहीं था। हावड़ा से चेन्नई जाने के लिये अनुभव दास ने कोरोमण्डल एक्सप्रेस पकड़ी थी। ट्रेन हादसे में वह बच निकलें और अपना अनुभव उन्होंने ट्वीटर पर साझा किया है। उन्होंने कहा, 'मैंने अपनी आंखों से 200-250 मौतें देखी। कई परिवार ट्रेन हादसे में मारे गये, शरीर के हिस्से इधर से उधर ​बिखरे थे और पटरियों पर खून की नदियां बह रही थीं। यह ऐसा दृश्य था जो मैं कभी नहीं भूल सकता। भगवान मृतकों के परिवारवालों की मदद करे।' अनुभव की ही तरह कुछ और लोग भी हैं जो कोरोमंडल एक्सप्रेस के भयावह ट्रेन हादसे में बच निकले हैं।
दमदम का रहने वाला शंकर दास बंगलुरु में दिहाड़ी मजदूरी का काम करता है। वह एक सप्ताह की छुट्टी के लिये यशवंतपुर एक्सप्रेस से वापस आ रहा था। शंकर जनरल डिब्बे में सवार था जो डिब्बा टकराने से पलट गया था। हालांकि इस हादसे में उसकी जान बच गयी। शंकर दास ने कहा, 'अचानक जोर की आवाज आयी, हमारा डिब्बा पास से गुजर रही कोरोमंडल एक्सप्रेस से संपर्क में आने लगा था। इसके बाद दो ट्रेनों के टकराने से आग जैसी लपटें निकलने लगी थी। अचानक हमारी बॉगी पलट गयी और सब लोग इधर से उधर गिरने लगे। हमारे डिब्बे में काफी लोग थे, लेकिन अब न जाने कितने बचे होंगे। हमें स्थानीय लोगों ने किसी तरह बाहर निकाला।'

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