दीघा : अक्षय तृतीया के पुण्य अवसर पर दीघा के जगन्नाथ धाम का भव्य उद्घाटन होगा अर्थात नए साल 2025 के 30 अप्रैल को दीघा के जगन्नाथ मंदिर का सिंह द्वार आम श्रद्धालुओं के लिए खोल दिया जाएगा। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बुधवार को मंदिर के दर्शन के बाद पत्रकारों को इसकी जानकारी दी। मंदिर कैसा होगा इसका खाका भी उन्होंने स्पष्ट किया। उन्होंने यह भी कहा कि वह रथयात्रा के लिए एक सोने का झाड़ू भी बनवाएंगी।
इसके लिए वे अपने खाते से 5 लाख रुपये का दान भी करेंगी जिसे इस्कॉन बनाएगा। हालाँकि, सीएम इस मंदिर की तुलना पुरी के जगन्नाथ धाम से नहीं करना चाहती हैं। उन्होंने कहा कि वह राजाओं के समय का था और यह जनता द्वारा चुनी गई सरकार द्वारा किया गया है। बुधवार दोपहर करीब डेढ़ बजे वह मंदिर परिसर में गईं। उनके साथ मुख्य सचिव मनोज पंत, डीजीपी राजीव कुमार, जिला आयुक्त, विधायकों के अलावा कोलकाता इस्कॉन के उपाध्यक्ष राधारमण दास भी विशेष तोर पर मौजूद थे। सीएम ने कहा कि इस्कॉन के उपाध्यक्ष भी दीघा मंदिर आएंगे।
सीएम ने किया मंदिर ट्रस्ट बोर्ड का गठन : सीएम ने कहा कि मंदिर के प्रबंधन के लिए एक ट्रस्ट बोर्ड का भी गठन किया जा रहा है। मुख्यमंत्री खुद ट्रस्ट बोर्ड में नहीं रहेंगी।
बोर्ड के 15-20 सदस्यों में पूर्वी मिदनापुर के जिला मजिस्ट्रेट, जिले के पुलिस अधीक्षक, इस्कॉन और सनातन धर्म के प्रतिनिधि और वे लोग होंगे जो दीघा की ‘मौसी के घर’ स्थित जगन्नाथ देव के मंदिर में पूजा करते थे। सीएम ने कहा कि 22 एकड़ जमीन पर मंदिर बनाने में राज्य सरकार ने करीब ढाई करोड़ रुपये खर्च किये हैं। अगले कुछ सालों तक मंदिर का सारा खर्च राज्य सरकार ही वहन करेगी।
सीएम ने साझा किया मंदिर का ब्लू प्रिंट : मुख्यमंत्री ने कहा कि मंदिर प्रांगण में भोजन कक्ष, भंडार कक्ष, अतिथि कक्ष, विश्राम स्थल अलग-अलग होंगे। पूजा सामग्री बेचने के लिए अलग जगह होगी। वहां स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को सामान बेचने की व्यवस्था भी की जाएगी। जैसे पुरी का ख्वाजा, बंगाल का खीर, गाजा, पेड़ा, गुजिया जैसी मिठाई दीघा में मिलेगी। दो और मंदिर विमला लक्ष्मी का मन्दिर और राधाकृष्ण का मंदिर भी बनेगा। एक विशेष ‘चैतन्यद्वार’ भी बनाया जाएगा।
होगी ध्वजारोहण की व्यवस्था, रहेगा ‘पंडा’ समूह पर अंकुश: पुरी धाम की तरह दीघा में भी ध्वजारोहण की व्यवस्था होगी। श्रद्धालु बिना किसी उलझन के मंदिर के दर्शन कर सकेंगे।