कोयला मजदूरों को उनके हक से वंचित नहीं किया जा सकता : तपन सेन

केंद्रीय मजदूर संगठनों ने 20 मई को की देशव्यापी हड़ताल की घोषणा
हड़ताल समर्थन में आयोजित कार्यक्रम में शामिल सीटू  समर्थक
हड़ताल समर्थन में आयोजित कार्यक्रम में शामिल सीटू समर्थक citu
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सांकतोड़िया : चार लेबर कोड के विरोध में केंद्रीय मजदूर संगठनों ने 20 मई को देशव्यापी हड़ताल की घोषणा की है। इस हड़ताल को सफल बनाने के लिए सोदपुर एरिया की पटमोहना कोलियरी में सीटू की ओर से पथसभा की गयी। सभी कोयला मजदूरों को एकजुट होकर हड़ताल सफल करने का अपील की गयी। विदित हो कि चार लेबर कोड का दस यूनियनें खुलकर विरोध कर रही हैं जबकि संघ परिवार से जुड़ा मजदूर संगठन बीएमएस कुछ सुधारों के साथ लागू करने के पक्ष में हैं परंतु हड़ताल में शामिल नहीं है। इस मुद्दे पर दस केंद्रीय यूनियन इंटक, एटक, सीटू, एचएमएस, एआईटीयूसी, टीयूसीसी, सेवा, एक्टू, एलपीएफ, यूटीयूसी शामिल हैं। सूत्रों ने बताया कि 20 मई को होने वाली यह देशव्यापी हड़ताल भारतीय श्रमिकों के लिए एक निर्णायक कदम साबित हो सकती है। यह हड़ताल न केवल निजीकरण और श्रम संहिताओं के खिलाफ एक विरोध होगी, बल्कि यह मजदूरों के अधिकारों को दोबारा स्थापित करने की दिशा में एक मजबूत आंदोलन भी साबित हो सकता है। मौके पर सीटू के राष्ट्रीय महासचिव तपन सेन, कोलियरी मजदूर सभा के महासचिव वंश गोपाल चौधरी, सुजीत भट्टाचार्य, वंदन बनर्जी, कौशिक हलदर सहित अन्य लोग उपस्थित थे।

श्रम संहिताओं का विरोध

श्रमिक संगठनों का आरोप है कि सरकार श्रमिकों के अधिकारों के खिलाफ श्रम संहिताओं को खत्म करने की दिशा में काम कर रही है, जो मजदूरों के लिए खतरे की घंटी साबित हो सकती है। सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों का निजीकरण रोकने की मांग की गई है, कारण यह श्रमिकों के रोजगार सुरक्षा को खतरे में डालता है। न्यूनतम मासिक वेतन को बढ़ाकर 26,000 रुपये करने की मांग की गई है, जिससे श्रमिकों का जीवन स्तर सुधार सके। कर्मचारी पेंशन योजना के तहत न्यूनतम मासिक पेंशन को 9,000 रुपये करने की भी मांग की गई है। श्रमिक नेताओं ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार की नीतियां कॉरपोरेट समर्थक और मजदूर विरोधी हैं, जिससे बेरोजगारी, गरीबी और असमानता बढ़ी है। इन नीतियों के चलते श्रमिकों को आर्थिक संकट का सामना करना पड़ रहा है।

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