

बर्दवान : सरकारी पोर्टल हैक कर टेंडर रद्द कर दिये जाने से प्रशासनिक हलकों में हलचल मची हुई है। आरोप है कि किसी ने फर्जी लॉगिन आईडी बनाकर बीडीओ की जानकारी के बिना सरकारी पोर्टल में प्रवेश किया और टेंडर प्रक्रिया को रद्द कर दिया ! जिला प्रशासन खुद इस मामले में घिर गया है। यह कैसे संभव है ? इसमें कौन शामिल है ? इसका पता लगाने के लिए बर्दवान के मेमारी एक के बीडीओ ने साइबर पुलिस थाना का दरवाजा खटखटाया है। सरकारी अधिकारी काम देने के लिए विशिष्ट ठेकेदारों को पत्र लिखने का काम कर रहे थे। उसी दिन सरकारी पोर्टल में प्रवेश कर मूल टेंडर को 'रद्द' कर दिया गया। वह संदेश मिलने के बाद मेमारी एक की बीडीओ शतरूपा दास ने पिछले गुरुवार को मेमारी थाने में साइबर धोखाधड़ी की शिकायत दर्ज कराई। बीडीओ ने पत्र की एक प्रति पूर्व बर्दवान के जिलाधिकारी, एसडीओ (बर्दवान दक्षिण) और मेमारी 1 पंचायत समिति के अध्यक्ष को दी है।
डीएम ने कहा
जिलाधिकारी आयशा रानी ने कहा कि पुलिस को सूचना दे दी गई है। पुलिस मामले की जांच कर रही है। साथ ही प्रशासन ने सरकारी पोर्टल के अधिकारियों को पत्र लिखकर पूछा है कि टेंडर बीडीओ मेमारी एक ने आमंत्रित किया था। इसे रद्द करने का अधिकार केवल बीडीओ के पास है। पता चला है कि प्रशासन को अभी तक इस बात का जवाब नहीं मिला है कि पोर्टल में किसी तीसरे पक्ष ने कैसे प्रवेश किया और टेंडर रद्द कर दिया।
क्या है पूरा मामला
ब्लॉक सूत्रों के अनुसार, सांसद कोटे से बर्दवान पूर्व से तृणमूल सांसद शर्मिला सरकार ने मेमारी ग्रामीण अस्पताल के बाह्य रोगी विभाग के लिए एक अतिरिक्त भवन के निर्माण के लिए अपने फंड से 24 लाख रुपया आवंटित किया है। ब्लॉक प्रशासन ने उस काम के लिए 25 अप्रैल को सरकार के अपने पोर्टल के माध्यम से टेंडर मांगे थे जिसका मेमो नंबर 358 है। 15 मई को बीडीओ, सांसद सह जिला परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी नित्यानंद बनर्जी ने अस्पताल के अंदर बाह्य रोगी विभाग के अतिरिक्त भवन का भी शिलान्यास किया था। उल्लेखनीय है कि शिलान्यास की तिथि को ही पोर्टल से टेंडर रद्द होने का संदेश भेजा गया। बीडीओ ने अपने पत्र में बताया कि उस संदेश को प्राप्त करने के बाद सरकारी पोर्टल के हेल्प सेंटर को मेमो संख्या 1777/बीडीओ/मेमोरी 1/2025 से पत्र भेजा गया। अगले दिन बीडीओ को वहां से जवाब मिला। बताया गया कि 15 मई की दोपहर 2:31 बजे पहचान पत्र (आईडी) जेनरेट किया गया था। दोपहर 2:38 बजे दीपान्विता मंडल नामक किसी व्यक्ति ने 'डिजिटल सिग्नेचर सर्टिफिकेट' (डीएससी) के जरिए टेंडर रद्द कर दिया। उस पोर्टल के हेल्प सेंटर को दीपान्विता नाम का कोई व्यक्ति नहीं मिला। जिला प्रशासन ने यह भी बताया कि दीपान्विता नाम के किसी जिला पदाधिकारी के पास डीएससी नहीं है। बीडीओ ने अपने पत्र में लिखा है कि 'डीएससी' फिलहाल निष्क्रिय है। उनका मानना है कि सरकारी गोपनीय प्रक्रियाओं की श्रृंखला को दुर्भावनापूर्ण इरादे से तोड़ा गया है।