डीवीसी की जमीन से मदरसा हटाने आये अधिकारियों को लौटना पड़ा बैरंग
दुर्गापुर : दुर्गापुर के माया बाजार इलाके में सोमवार को उस समय तनाव फैल गया जब दामोदर वैली कॉर्पोरेशन (डीवीसी) की ओर से अवैध कब्जा हटाने के लिए अभियान चलाया गया। यह जमीन दुर्गापुर थर्मल पावर स्टेशन के क्षेत्र में आती है। इस जमीन पर वर्षों से एक मदरसा है। इस दौरान डीवीसी के अधिकारियों को स्थानीय लोगों के तीव्र विरोध का सामना करना पड़ा।
अभियान के खिलाफ लोगों ने किया प्रदर्शन
मदरसा को हटाने की कार्रवाई शुरू होने पर इलाके के लोगों ने विरोध जताया और अधिकारियों को घेर लिया। इस दौरान डीवीसी के अधिकारियों और स्थानीय लोगों के बीच जमकर बहस हुई। भारी विरोध को देखते हुए डीवीसी के अधिकारियों को वापस जाना पड़ा। इमरान खान ने मीडिया से कहा कि उस इलाके में यही एकमात्र मदरसा है। डीवीसी अधिकारी मदरसा को हटाने आये थे लेकिन स्थानीय लोगों ने इसका विरोध किया। अगर उनके बच्चों के लिए दूसरी जगह मदरसा बनाने को दिया जाता है, तो वे लोग विचार कर सकते हैं। इस दौरान जब तक वैकल्पिक व्यवस्था नहीं होती है, वे उसे हटाने नहीं होने देंगे। जरूरत पड़ी तो बड़े आंदोलन की राह अपनाएंगे।
घटना पर भाजपा विधायक का तीखा बयान
इस विवाद को लेकर भाजपा के विधायक लखन घोरूई ने भी मोर्चा खोल दिया। उन्होंने आरोप लगाया कि राज्य की सत्तारूढ़ पार्टी तृणमूल कांग्रेस इस मामले में सांप्रदायिक राजनीति कर रही है। उन्होंने कहा कि देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विकास के लिए मंदिर तक को हटाने में पीछे नहीं हटते। वे मंदिर के लिए आंदोलन नहीं करते कारण विकास जरूरी है लेकिन जब मदरसा या मस्जिद की बात आती है, तो तृणमूल कांग्रेस जान-बुझकर एक विशेष समुदाय को भड़काकर राजनीति करती है। यह तुष्टीकरण की नीति का वे लोग इसका विरोध करते हैं। इलाके में प्लांट का विकास होने से स्थानीय लोगों को रोजगार का मौका मिलेगा।
प्रशासन की चुप्पी, राजनीतिक टकराव तेज
इस घटना के बाद से इलाके में तनाव की स्थिति बनी हुई है। हालांकि पुलिस की मौजूदगी से माहौल फिलहाल नियंत्रण में है। प्रशासन की ओर से अब तक कोई औपचारिक बयान नहीं आया है। सूत्रों की मानें तो डीवीसी निकट भविष्य में पुनः कार्रवाई कर सकता है। इस पूरे घटनाक्रम ने दुर्गापुर में राजनीति को गरमा दिया है। एक ओर स्थानीय लोग धार्मिक शिक्षा संस्थान के संरक्षण की मांग कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर विपक्ष इसे तुष्टीकरण और वोट बैंक की राजनीति से जोड़कर तृणमूल को घेरने में जुटा है।