
पांशकुड़ा : मानसून शुरू होते ही स्क्रब टाइफस का संक्रमण शुरू हो गया है। सरकारी अस्पतालों में स्क्रब से संक्रमित कई बच्चे मिले हैं। निजी अस्पतालों व क्लीनिकों में भी संक्रमित बच्चों की संख्या बढ़ रही है। जिसके कारण जिला स्वास्थ्य विभाग अलर्ट पर है। डॉक्टरों का कहना है कि अगर अभिभावक थोड़ी सावधानी बरतें तो स्क्रब टाइफस के संक्रमण को रोका जा सकता है।
सूत्रों द्वारा मिली जानकारी के अनुसार 25 जून को पांशकुड़ा के वृंदावनचक इलाके का रहने वाला छह वर्षीय बच्चा बुखार से पीड़ित हो गया। सात दिनों के बाद भी जब बुखार कम नहीं हुआ तो उसे कोलाघाट के शिशु रोग विशेषज्ञ के पास ले जाया गया। उनकी सलाह पर बच्चे की स्क्रब टाइफस की जांच कराई गई। जांच के बाद पता चला कि बच्चा स्क्रब टाइफस से संक्रमित है। हालांकि इलाज शुरू होने के बाद अब बच्चा स्वस्थ है। बच्चे के पिता सुरजीत मंडल ने बताया, लड़के को बुखार था। उसके पेट के एक तरफ सिगरेट के बट जैसा निशान था। जांच के बाद पता चला कि लड़का स्क्रब टाइफस से पीड़ित है। विशेषज्ञों का कहना है कि स्क्रब टाइफस एक प्रकार के कीड़े के काटने से होता है जिसे टंबीकुलिड माइट कहते हैं। इस कीड़े को बेरी बग, चिगर, हार्वेस्ट माइट भी कहते हैं। ये नंगी आंखों से दिखाई नहीं देते। यह कीट बरसात के मौसम में झाड़ियों में घूमने लगता है। यह मकड़ी चूहों के शरीर में भी घूमती है। हालांकि स्क्रब मकड़ी नंगी आंखों से दिखाई नहीं देती, लेकिन शरीर पर हमले के तीन दिन बाद मकड़ी खून पीती है और रेत के दाने के आकार की हो जाती है। फिर शरीर से गिर जाती है। स्क्रब टाइफस और डेंगू के लक्षण काफी मिलते-जुलते हैं। फर्क सिर्फ इतना है कि डेंगू में प्लेटलेट्स कम हो जाते हैं, जबकि स्क्रब में एनीमिया होता है। डेंगू के मरीजों के शरीर में सी-रिएक्टिव प्रोटीन का स्तर सामान्य होता है लेकिन स्क्रब से संक्रमित बच्चे के शरीर में सी-रिएक्टिव प्रोटीन का स्तर दिन-प्रतिदिन असामान्य दर से बढ़ता है। पूर्व मिदनापुर जिले में इस बार भी इसकी शुरुआत हो चुकी है। शिशु रोग विशेषज्ञ ने कहा, मानसून के दौरान जब चूहे के बिल में पानी घुस जाता है, तो चूहे घर में घुस जाते हैं। स्क्रब माइट भी चूहों के शरीर के जरिए घर में घुस जाते हैं। स्क्रब के संक्रमण को रोकने के लिए घर के आसपास साफ-सफाई रखनी चाहिए। चूहों की आवाजाही रोकनी चाहिए। स्क्रब माइट जमीन से दो फीट से ज्यादा ऊपर नहीं उड़ सकते। आमतौर पर जमीन पर खेलने वाले बच्चों को स्क्रब माइट काट लेते हैं। इसलिए मानसून के दौरान बच्चों को जूते और पूरे शरीर को ढकने वाले कपड़े पहनाकर बाहर निकालना चाहिए। तभी स्क्रब के हमले से बचा जा सकता है। पूर्व मिदनापुर जिले के मुख्य स्वास्थ्य अधिकारी बिभास रॉय के अनुसार, स्क्रब टाइफस एक आम बीमारी की तरह है, हर मानसून में कुछ बच्चे इस बीमारी से संक्रमित हो जाते हैं। इस बार भी कुछ बच्चों के शरीर में स्क्रब बैक्टीरिया पाए गए हैं। सरकारी चिकित्सा सुविधाओं में स्क्रब को ठीक करने की व्यवस्था है। स्वास्थ्य विभाग भी इस बीमारी के बारे में सभी को जागरूक कर रहा है।