

दीघा : दीघा में इस वर्ष पहली बार भगवान जगन्नाथ के रथ के पहिए घूमेंगे। इसकी तैयारियां शुरू हो चुकी हैं। काफी तेजी के साथ रथ निर्माण का कार्य चल रहा है। पुरी की तरह दीघाट में भी जगन्नाथ, बलराम और सुभद्रा तीन अलग-अलग रथों की पताका फहराते हुए मौसी के घर जाएंगे। इस वर्ष रथ यात्रा 27 जून को मनाई जाएगी। यह कहने की आवश्यकता नहीं है कि रथ यात्रा के लिए दीघा में पर्यटकों का तांता लगने वाला है क्यों कि दीघा में पहली बार होने वाली रथ यात्रा का लोग काफी बेसब्री से इंतजार कर रहें हैं। वैसे पूर्व मिदनापुर के महिषादल की रथयात्रा में भी लाखों श्रद्वालुओं की भीड़ होती है और इस वर्ष दीघा में भी रथ यात्रा होने जा रही है।
मिली जानकारी के अनुसार राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी दीघा में रथ यात्रा का उद्घाटन करेंगी। पुरी में रथ के पहिये घूमने से पहले सड़क को सोने की झाड़ू से साफ किया जाता है तो दीघा रथ यात्रा कोई अपवाद नहीं होगा। इस राज्य की मुख्यमंत्री ने सोने की झाड़ू बनाने के लिए मंदिर प्रशासन को पहले ही कई लाख रुपये दान कर दिए हैं। इसके साथ ही जिला पुलिस और प्रशासन रथ यात्रा के लिए दीघा में सुरक्षा स्थिति पर भी नजर रखने जा रहा है। दीघा स्थित जगन्नाथ मंदिर के दरवाजे 31 मार्च को श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए गए थे। तब से लगभग हर दिन मंदिर में दर्शनार्थियों का तांता लगा रहता है। यहां तक कि विदेशी पर्यटक भी दीधा के भगवान जगन्नाथ मंदिर को देखने के लिए आ रहें हैं। जिसके परिणामस्वरूप, यह उम्मीद की जा रही है कि रथ यात्रा के दिनों में अधिक श्रद्धालु आएंगे। न केवल दीघा में, बल्कि पूर्व मिदनापुर में महिषादल का रथ भी प्रसिद्ध हैं। पुरी और महेश के बाद सदियों पुराने रथ में महिषादल रथ का नाम आता है। यहां के रथ की एक और अनोखी विशेषता यह है कि राजपरिवार के कुलदेवता श्री गोपाल जी और जगन्नाथ देव रथ पर सवार होते हैं। बलराम और सुभद्रा नहीं रहते. समय के साथ महिषादल रथ की लोकप्रियता भी बढ़ती जा रही है, परिणामस्वरूप, रथ यात्रा से पहले ही पूर्व मिदनापुर में दोनों रथ यात्राओं को लेकर उत्साह चरम पर है।