कवि नजरूल ने अपनी कविताओं से स्वतंत्रता और समानता का संदेश दिया था - अमरनाथ चटर्जी

काजी नजरुल इस्लाम की जयंती पर निगम के चेयरमैन अमरनाथ चटर्जी के साथ अन्य पदाधिकारी
काजी नजरुल इस्लाम की जयंती पर निगम के चेयरमैन अमरनाथ चटर्जी के साथ अन्य पदाधिकारी
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आसनसोल : विद्रोही कवि काजी नजरूल इस्लाम की जयंती के उपलक्ष्य पर सोमवार को निगम की ओर से आश्रम मोड़ स्थित उनकी प्रतिमा पर माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि दी गई। इस मौके पर निगम के चेयरमैन अमरनाथ चटर्जी ने माल्यार्पण कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए अमरनाथ चटर्जी ने कहा कि काजी नजरूल इस्लाम एक लेखक, कवि, गायक और क्रांतिकारी थे। उन्हें विद्रोही कवि कहा जाता है कारण उन्होंने पाखंड, लोगों पर अत्याचार तथा देश की गुलामी के खिलाफ अपने साहित्य से विद्रोह किया था। वे भेदभाव रहित समाज को आगे बढ़ाने की बात करते थे। उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रिय रूप से भाग लेते हुए अपनी कविताओं से स्वतंत्रता और समानता का संदेश दिया। ब्रिटिश साम्राज्यवाद के खिलाफ उन्होंने जिस तरह की कविताएं लिखी थी, उसने अंग्रेजों की नींव हिला दी थी। उन्होंने कहा कि रवींद्रनाथ टैगोर, शरतचंद्र चट्टोपाध्याय जैसे साहित्यकार काजी नजरूल इस्लाम के प्रशंसक थे और सभी ने कहा था कि काजी नजरूल इस्लाम का साहित्य भारत के प्रत्येक मनुष्य तक पहुंचेगा। मौके पर एमएमआईसी गुरुदास चटर्जी, पार्षद मौसमी विश्वास, मो. हसरतुल्लाह, निगम के कानूनी सलाहकार रबिउल इस्लाम, कार्यपालक बिरेन अधिकारी, संस्कृति विभाग के कल्लोल राय सहित अन्य मौजूद थे।

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