शिफ्टिंग व विस्थापन की समस्या के कारण बाधित है कई खदानों का विस्तारीकरण

इस खदान का होगा विस्तारीकरण
इस खदान का होगा विस्तारीकरण
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सालानपुर : ईसीएल सालानपुर एरिया के बंजिमिहारी एवं मोहनपुर ओसीपी से कोयला खनन के लिए खदानों का विस्तारीकरण जरूरी है लेकिन शिफ्टिंग व विस्थापन समस्या के कारण कई खदानों का विस्तारीकरण बाधित है। वहीं कई बंद खदानों को चालू करने में भी सफलता नहीं मिल पा रही है। हालांकि कई प्रोजेक्ट रिपोर्ट को ईसीएल बोर्ड से एप्रूवल मिल गया और कई इंतजार में हैं। कई खदानों का नया पीआर बनाने का कार्य अंतिम चरण में है। कई खदानों का इनवायरमेंट व फॉरेस्ट क्लीयरेंस भी लेना है। जानकारों ने बताया कि फिलहाल बंजिमिहारी ओसीपी का टेंडर समाप्त होने के कारण कोयला उत्पादन अप्रैल महीना से बंद है। यहां 9 मिलियन टन से अधिक कोल रिजर्व है।

दस गांवों का होगा विस्थापन

ईसीएल सूत्रों ने बताया कि बंजिमिहारी ओसीपी के विस्तारीकरण करने के लिए 733 एकड़ जमीन की जरूरत है जिसमें से 284 एकड़ जमीन का अनुमोदन ईसीएल मुख्यालय से मिल चुका है। बाकी जमीन अधिग्रहण करने के लिए फाइल मुख्यालय भेजी गयी है। इसका भी बहुत जल्द अनुमोदन मिल जाएगा। सूत्रों ने बताया कि इस खदान के विस्तारीकरण करने के लिए छोटे-बड़े मिलाकर 10 गांवों को विस्थापित करना होगा। इतने गांवों को विस्थापित करना प्रबंधन के लिए चुनौती बना हुआ है। जानकारों ने बताया कि कुछ गांव के लोग हटने के लिए तैयार हैं तो कुछ लोग गांव छोड़ने के लिए तैयार नहीं हैं। उसी उधेड़बुन में मामला अधर में लटका हुआ है। ईसीएल के बने आवासों की संख्या लगभग 70 है। इन आवासों को खाली कराने में प्रबंधन को पसीना छूट रहा है कारण कई आवासों पर बाहरी लोगों का कब्जा है। ईसीएल कर्मी तो मजबूर होकर खाली कर देंगे परंतु अवैध रूप से रह रहे लोग आवास खाली करने का नाम नहीं ले रहे हैं। ईसीएल इस परियोजना के विस्तार पर लगभग 600 करोड़ रुपये की पूंजी निवेश करेगी। ईसीएल के अधिकारियों की मानें तो इस परियोजना में जमीन के नीचे लगभग 9 मिलियन टन उन्नत किस्म का कोयला है, जिससे देश के पावर प्लांटों की जरूरतों को पूरा किया जायेगा। इतनी मात्रा में कोयला का उत्पादन करने में ईसीएल को लगभग सात साल का समय लगेगा।

टेंडर करने का प्रयास जारी

बंजिमिहारी ओसीपी के टेंडर का समय सीमा मार्च में समाप्त हो गया जिस कारण अप्रैल माह से वहां कोयला उत्पादन बंद है। इससे कंपनी को करोड़ों रुपये का नुकसान हो रहा है। जानकारों ने बताया कि पहले डेको कंपनी कोयला खनन कर रही थी परंतु इस बार वह खनन करना नहीं चाहती। इसका कारण घाटा होना बताया जा रहा है। प्रबंधन फिर से चालू करने के लिए टेंडर जारी करने के प्रयास में जुटा हुआ है।

भूमि अधिग्रहण क्या है

कोयला खदानों के विस्तार के लिए, सरकार को बड़ी मात्रा में भूमि की आवश्यकता होती है, जिसके लिए गांवों की जमीन को अधिग्रहित करना पड़ता है। कोयला खदानों को विस्तारित करने से उत्पादन क्षमता बढ़ती है, जिससे खदानों को अधिक कोयला निकालने की अनुमति मिलती है। कोयला खदानों से आर्थिक लाभ मिलता है, जो सरकार के लिए राजस्व का एक महत्वपूर्ण स्रोत बन सकता है।

विस्थापन के प्रभाव

विस्थापन से लोगों की आजीविका और आर्थिक गतिविधियां प्रभावित होती हैं। विस्थापन से लोगों की सामाजिक संरचना, जीवनशैली और सामाजिक नुकसान होता है। विस्थापन से भूमि और पर्यावरण को नुकसान होता है। विस्थापन से पहले स्थानीय लोगों के साथ परामर्श किया जाना चाहिए और उनकी सहमति प्राप्त की जानी चाहिए। विस्थापित लोगों को पुनर्वास करने के लिए उचित योजनाएं बनाई जानी चाहिए जिसमें आवास, रोजगार और सामाजिक सुरक्षा शामिल हो।

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