सड़क हादसे में पांव खोने वाले युवक को 11 साल बाद मिला इंसाफ

अदालत के आदेश पर 41 लाख रुपये का मिला मुआवजा
अकाश चौधरी अपने मां के साथ
अकाश चौधरी अपने मां के साथ
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दुर्गापुर : दुर्गापुर थाना अंतर्गत वारिया कोल डिपो क्षेत्र की सड़क किनारे झोपड़ियों में बसे आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों के बीच बासमती देवी अपने पति और बेटे आकाश चौधरी के साथ रहती थीं। बासमती देवी का सपना था कि उसका बेटा आकाश पढ़-लिखकर आत्मनिर्भर बने और एक उज्ज्वल भविष्य की ओर बढ़े, लेकिन नियति ने उनका सपना चूर-चूर कर दिया। दिसंबर 2014 में छात्र आकाश सड़क किनारे खेल रहा था, तभी एक तेज रफ्तार डंपर ने उसे टक्कर मारी थी। सड़क हादसे में गंभीर रूप से घायल आकाश को अस्पताल में भर्ती किया गया था। हालांकि उसकी जान तो बच गई, लेकिन उसके दाहिने पैर को जांघ के ऊपर से काटना पड़ा था। सड़क हादसे के बाद 2016 में उसे घरवालों ने घातक वाहन के ड्राइवर और बीमा कंपनी के खिलाफ दुर्गापुर मोटर एक्सीडेंट क्लेम ट्राइब्यूनल में मुआवजे का मामला दायर किया था। वहीं 11 साल की लंबी कानूनी लड़ाई के बाद न्याय की उम्मीद अब साकार हुई। मामले की सुनवाई के दौरान ट्राइब्यूनल कोर्ट के न्यायाधीश रफीक आलम (अतिरिक्त जिला एवं फास्ट ट्रैक कोर्ट) ने बासमती देवी के बेटे आकाश चौधरी के पक्ष में फैसला सुनाया। अदालत ने बीमा कंपनी को आदेश दिया कि वह 26,55,800 रुपये मूल मुआवजा राशि और उस पर 6 प्रतिशत वार्षिक ब्याज समेत कुल लगभग 41 लाख रुपये की राशि आगामी 30 दिनों के भीतर अदालत में जमा करे। बासमती देवी के अधिवक्ता वकील अयूब अंसारी ने कहा कि गरीब और जरूरतमंद लोगों के लिए न्याय की लड़ाई लड़ने का सुख कुछ अलग ही होता है। उन्होंने कहा कि आकाश के पैर की कीमत किसी भी रकम से नहीं आंकी जा सकती, लेकिन यह मुआवजा उसके और परिवार के भविष्य को कुछ हद तक मदद जरूर करेगा। वे आकाश के बेहतर स्वास्थ्य और उज्ज्वल भविष्य की कामना करते हैं।

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