आरओ प्लांट को ईसीएल प्रबंधन ने डिपार्टमेंटल चलाने का लिया निर्णय

आर ओ प्लांट में लगा ताला
आर ओ प्लांट में लगा ताला
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सांकतोड़िया : सोदपुर एरिया के बंद पड़े आरओ प्लांट को अब ईसीएल प्रबंधन डिपार्टमेंटल चलाने का निर्णय लिया है। पहले यह ठेकेदार के तहत चलाया जा रहा था जिस कारण कंपनी को भारी-भरकम रकम चुकानी पड़ रही थी। मालूम हो कि सोदपुर एरिया के चार आरओ प्लांट सोदपुर 9/10 नंबर चिनाकुड़ी, 2 नंबर, 3 नंबर एवं पारबेलिया कोलियरी ने लगाया गया है जिस पर लाखों रुपये का खर्च करना पड़ रहा था। जानकारों ने बताया कि चारों आरओ प्लांट का अनुबंध मार्च में ही समाप्त हो गया है। उसके बाद से चारों आरओ प्लांट बंद पड़े हैं जिस कारण लोगों को पानी के लिए काफी परेशानी हो रही है। स्थानीय लोग अब पानी के लिए इधर-उधर भटक रहे हैं। कोयला कर्मियों सहित कोलियरी क्षेत्र के आसपास रहने वालों को शुद्ध पानी मिले, इसके मद्देनजर ईसीएल प्रबंधन ने आरओ प्लांट लगाया था। शिकायत के बाद भी आरओ को चालू नहीं कराया गया है। इसकी वजह से कोयला कर्मियों व स्थानीय लोगों को शुद्ध पानी नहीं मिल पा रहा है।

क्या कहता है ईसीएल प्रबंधन

आरओ प्लांट बंद होने के बारे में सोदपुर एरिया के महाप्रबंधक अभिजीत गंगोपाध्याय ने कहा कि उनके पास सरप्लस मैन पावर है। कंपनी किसी को बैठाकर क्यों पैसा देगी। उन्होंने कहा कि जबसे चिनाकुड़ी 1, 3 नंबर एवं दुबेसरी कोलियरी को रेवेन्यू शेयरिंग में दिया गया है, उस समय से मैन पावर की संख्या काफी बढ़ गयी है और जितनी आवश्यक है, उससे अधिक है। इसलिए उस मैन पावर को हम आरओ प्लांट में लगाएंगे जिससे कंपनी को महीना ने लगभग तीस लाख रुपये की बचत होगी और हमारा मैन पावर का भी सदुपयोग होगा। उन्होंने कहा कि बहुत जल्द सभी आरओ प्लांट चालू हो जाएंगे और लोगों को पानी मिलने लगेगा।

क्या कहते हैं स्थानीय लोग

स्थानीय लोगों का कहना है कि आरओ प्लांट को सुचारू रूप से चलाने के लिए ईसीएल प्रबंधन को इन प्लांटों को ठीक और रखरखाव करने के लिए कदम उठाने चाहिए। गर्मी में प्यास लगने पर कोई बड़ी उम्मीद के साथ आरओ प्लांट पर पहुंचता है। वहां टोटी में पानी नहीं निकलने पर वह हताश हो जाता है। शहर में एक दर्जन से अधिक आरओ प्लांट लगे हैं। ईसीएल प्रबंधन ने सभी एरिया एवं कोलियरी क्षेत्र में आरओ प्लांट लगाए गए हैं ताकि लोगों को पानी के लिए इधर-उधर भटकना नहीं पड़े। लोगों को मजबूरी में बोतल बंद पानी भी खरीदना पड़ रहा है। इस पर जिम्मेदार ध्यान नहीं दे रहे हैं। इधर से गुजरने वालों को अगर प्यास लग जाए तो तरसना पड़ता है। इस मार्ग पर हर समय आवाजाही लगी रहती है। संकट को लेकर कई बार व्यथा कही जा चुकी है, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई है।

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