

रानीगंज : रानीगंज टीडीबी कॉलेज के प्रोफेसर पार्सल किस्कू के खिलाफ झूठे आरोपों और दुर्व्यवहार के विरोध में दिशम आदिवासी गावता के सहयोग से पश्चिम बंग आदिवासी कल्याण समिति ने सोमवार को विशाल जुलूस निकाला। इस विरोध प्रदर्शन में पश्चिम बंगाल आदिवासी अधिकार मंच की पश्चिम बर्दवान जिला कमेटी की भी भागीदारी रही। विरोध मार्च रानीगंज रेलवे स्टेशन से शुरू हुआ, जहां से बड़ी संख्या में आदिवासी समाज के पुरुष और महिलाएं शामिल हुईं। यह विशाल जुलूस एनएसबी रोड से होते हुए रानीगंज थाना पहुंचा, जहां आदिवासी संगठनों के सदस्यों ने जोरदार प्रदर्शन किया। आदिवासियों के इस प्रदर्शन और जुलूस के कारण रानीगंज शहर थोड़ी देर के लिए अचल हो गया और जगह-जगह ट्रैफिक जाम लग गया। वहीं रानीगंज थाना परिसर को पुलिस छावनी में तब्दील कर दिया गया था।
क्या है पूरा मामला
गत 16 मई को रानीगंज के टीडीबी कॉलेज में इतिहास विभाग की इंटरनल परीक्षा सुबह 11 बजे शुरू होनी थी, लेकिन दोपहर 1:30 बजे तक भी शुरू नहीं हो पाई। बताया गया कि परीक्षा लेने वाले शिक्षक ने व्हाट्सएप ग्रुप पर संदेश लिखकर परीक्षा लेने की जिम्मेदारी से खुद को अलग कर लिया था। इसे लेकर कॉलेज के फिजिक्स विभाग के प्रोफेसर पार्सल किस्कू के बीच विवाद हुआ था। इसी घटना से गुस्साए छात्र-छात्राएं कॉलेज के टीआईसी (टीचर इंचार्ज) कार्यालय के सामने जमा हो गए और संबंधित अध्यापक के खिलाफ जमकर नारेबाजी की थी।
आदिवासी नेताओं ने बुलंद की आवाज, "न्याय मिलना चाहिए"
प्रदर्शन के दौरान आदिवासी संगठन के नेता बुबुन मांडी ने अपनी बात रखी और पुलिस से इस मामले में उचित कार्रवाई करने की मांग की। उन्होंने कहा कि यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है कि एक प्रोफेसर, जो समाज को शिक्षित करने का कार्य करता है, उसे झूठे आरोपों का सामना करना पड़ रहा है और उसके साथ दुर्व्यवहार किया गया है। वे लोग इस घटना की कड़ी निंदा करते हैं और मांग करते हैं कि पुलिस इस मामले की निष्पक्ष जांच करे और दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा दे। उन्होंने कहा कि प्रोफेसर पार्सल किस्कू के साथ जो हुआ है, वह आदिवासी समाज के सम्मान पर हमला है। पुलिस को तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि भविष्य में ऐसी घटनाएं दोबारा न हों। वहींकहा कि जब तक उनलोगों को न्याय नहीं मिलेगा, उनका संघर्ष जारी रहेगा। वहीं आदिवासियों के इस बड़े प्रदर्शन को देखते हुए रानीगंज थाना द्वारा सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए थे। किसी भी अप्रिय घटना से बचने के लिए बड़ी संख्या में पुलिस बल, कॉम्बैट फोर्स तैनात किया गया था।