

आसनसोल : चुनाव के दौरान शिक्षकों को बीएलओ बनाकर ड्यूटी पर लगाने के खिलाफ हर बार शिक्षक संगठनों द्वारा इसका विरोध किया जाता है। शिक्षकों का कहना है कि उनको चुनावी कार्य पर लगाने से शिक्षा प्रभावित होती है, साथ ही बच्चों की सुरक्षा आदि को लेकर भी चिंता होती है। 2026 में विधानसभा चुनाव को देखते हुए फिर से प्राइमरी शिक्षकों को चुनाव ड्यूटी पर लगाने के लिए सूची व प्रशिक्षण देने की तैयारी होने वाली है। इसी मुद्दे को लेकर मंगलवार को यूनाइटेड प्राइमरी टीचर्स वेलफेयर एसोसिएशन के बैनर तले शिक्षकों ने एचएलजी मोड़ से रैली निकाली। रैली डीएम कार्यालय के मुख्य गेट पर पहुंच कर प्रदर्शन में बदल गया। इसके बाद जिलाधिकारी एस पोन्नमबलम की व्यस्तता के कारण एडीएम (सामान्य) सुवासिनी ई को संगठन के प्रतिनिधियों ने उन्हें ज्ञापन सौंपा। एडीएम सुवासिनी ई ने प्रतिनिधियों को उनकी मांग को ऊपर तक पहुंचाने का आश्वासन दिया। एसोसिएशन के जिलाध्यक्ष धीरेन चंद्र माजी ने कहा कि जब -जब चुनाव आता है तब-तब प्राइमरी शिक्षकों को जबरन चुनाव ड्यूटी (बूथ लेबल ऑफिसर) बीएलओ बनाकर भेजा जाता है। इस स्थिति में स्कूल शिक्षा प्रभावित होने के साथ विद्यार्थियों की सुरक्षा आदि नहीं हो पाती है। बच्चों के लिए मिड- डे- मिल उनकी सुरक्षा तथा स्कूल खोलने व बंद करने का दायित्व रहता है। उन्होंने कहा कि जिले के 80 फीसदी शिक्षकों को चुनाव कार्य पूरा करने के लिए विभिन्न क्षेत्रों में भेजा जाता है। एक स्कूल में अगर 3 शिक्षक है तो दो शिक्षकों को चुनाव कार्य के लिए बुला लिया जाता है तो एक शिक्षक 6 कक्षाओं को कैसे संभाल पाएंगे? मौके पर शिक्षक शुभाशीष मंडल, अरुप माजी, पार्थ चक्रवर्ती, चंद्राणी मिश्रा सहित व्यापक संख्या में शिक्षक व शिक्षिकायें उपस्थित थीं।
क्या कहता है कानून
यूनाइटेड प्राइमरी टीचर्स वेलफेयर एसोसिएशन के जिलाध्यक्ष धीरेन चंद्र माजी ने कहा कि एसोसिएशन की ओर से बीते पांच सालों से जिला प्रशासन को ज्ञापन सौंप कर शिक्षकों को चुनाव ड्यूटी से दूर रखने की मांग करते आ रहे है। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि उनकी मांगों को बावजूद प्रशासन अपनी मनमानी करते हुए शिक्षकों को हर बार चुनाव ड्यूटी में भेजने का काम करता है जो कानून के मुताबिक सही नहीं है। उन्होंने कहा कि राइट टू इजूकेशन एक्ट के तहत शिक्षकों को शिक्षा क्षेत्र से बाहर किसी भी अन्य कार्य के लिए नहीं लगा सकते है।