प्रशासन को ठेंगा दिखाकर खुलेआम हो रही है संरक्षित वन्य जीव और पक्षियों की बिक्री

वन्य प्राणी संरक्षण विषयक जागरूकता अभियान सफल नहीं होने का आरोप
खुले आम बिक्री हो रही है संरक्षित वन्य पक्षी
खुले आम बिक्री हो रही है संरक्षित वन्य पक्षी
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आसनसोल : पश्चिम बर्दवान जिला में वन विभाग द्वारा वन्य प्राणी संरक्षण विषयक जागरूकता अभियान की शुरुआत की गई थी। इसका मुख्य उद्देश्य यह है कि संरक्षित वन्य जीवों और पक्षियों को कैद न किया जा सके। वहीं आरोप है कि इस अभियान के बावजूद आसनसोल के विभिन्न इलाकों में खुलेआम संरक्षित पक्षियों की बिक्री चल रही है। हालांकि वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि वे लोग वहां भी निगरानी बरत रहे हैं। अगर ऐसा कुछ सामने आता है तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाती है।

लोगों को यह पता नहीं कि कौन से वन्य जीव संरक्षित हैं - अनुपम खां

उल्लेखनीय है कि बीते 22 मार्च को वन दिवस के उपलक्ष्य पर इस जागरूकता अभियान की शुरुआत हुई। लगभग एक महीने से आसनसोल और दुर्गापुर बाजार इलाकों में जिला लीगल एड सर्विसेज के अधिकारियों द्वारा संयुक्त रूप से इस अभियान को वन विभाग के अधिकारियों द्वारा चलाया जा रहा है। आसनसोल नगर निगम क्षेत्र के मुख्य बाजार, नियामतपुर, बर्नपुर, रूपनारायणपुर और दुर्गापुर के बेनाचिति, भिरंगी, चंडीदास मार्केट सहित विभिन्न बाजारों में ऐसे जागरूकता अभियान को चलाया गया है। इसके विपरीत दुर्गापुर के डीएफओ अनुपम खां का कहना है कि पिछले एक साल में आसनसोल और दुर्गापुर में संरक्षित विभिन्न वन्य जीव के अंगों के तस्करी और पंछियों की खरीद-बिक्री के आरोप मिले हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि ज्यादातर आम लोगों को यह पता नहीं है कि कौन से वन्य जीव संरक्षित होते हैं। जानकारी के इस अभाव का फायदा उठाकर तस्कर आम लोगों को संरक्षित पछी और वन्य जीव के अंग बेच रहे हैं।

पाकमारों को पता होता है कि कहां पक्षी देते हैं अंडे

आसनसोल के बस्तिन बाजार, गिरजा मोड़, नियामतपुर और बर्नपुर के त्रिवेणी मोड़ इलाके में पछियों की खरीद-बिक्री की जाती है। वन विभाग की आंखों में धूल झोंककर कहीं पर बोरा से ढककर पछियों के पिंजरे को रखा जा रहा है तो कहीं वह भी नहीं किया जाता। आरोप यह भी है कि पछियों के व्यापारी पेड़ों पर घोसले से पछियों के नवजात बच्चों को निकाल कर बाजार में बेच रहे हैं। हाल ही में नियामतपुर पेट्रोल पंप इलाके में एक व्यक्ति खुलेआम बड़ी संख्या में तोता बेचते हुए पाया गया था। तोता विक्रेता विष्णु पाकमार ने कहा था कि कहां-किस पेड़ पर तोते अंडे देते हैं, यह उन्हें पता है। वह उसे पेड़ के घोसलों में नजर रखते हैं। अंडा से बच्चा निकलते ही वह उन्हें लेकर आ जाते हैं और बाजार में बेच देते हैं। हर बच्चा कम से कम 200 रुपया में बेचा जाता है। इस बारे में दुर्गापुर के डीएफओ ने बताया कि वन विभाग के कर्मियों द्वारा शिल्पांचल के हर बाजार पर नजर रखी जाती है, लेकिन हमेशा यह संभव नहीं होता। इसलिए किसी जगह पर खुलेआम अगर इस तरह से पछियों या वन्य जीवों की बिक्री की जा रही है तो वन विभाग को खबर देनी होगी। एकमात्र इसी तरह से इस पर लगाम लगाई जा सकती है।

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