

आसनसोल : जनबहुल क्षेत्रों में मोबाइल टावर लगाने का लोग जमकर विरोध करते हैं ताकि टावर से निकलने वाले रेडियस के कारण लोग विभिन्न रोग के चंगुल में जाने से बच सकें। लोग पैसे की लालच में आकर विभिन्न कंपनियों के मोबाइल टावर लगाने का प्रयास करते हैं लेकिन स्थानीय लोगों के विरोध के कारण इसकी स्वीकृति नहीं मिलने से टावर निर्माण का काम बीच में ही बंद तक कर दिया जाता है। लोगों ने धादका एनसी लाहिड़ी विद्यामंदिर भवन के ऊपर एक तथा आसनसोल उत्तर थाने की छत पर तीन टावर लगाने पर सवाल उठाया है। लोगों का कहना है कि हजारों की संख्या में छात्र-छात्राएं स्कूल में पढ़ते हैं लेकिन स्कूल प्रबंधक कमेटी ने चंद पैसों की लालच में स्कूल भवन के ऊपर टावर लगवा दिया है जिसकी स्वीकृति कैसे मिल गई ? टावर से निकलने वाली रेडियस के कारण त्वचा रोग व कैंसर होने का विशेषज्ञ दावा करते हैं, फिर किस आधार पर स्कूल की छत पर टावर लगाने की स्वीकृति प्रदान की गई? वहीं आसनसोल उत्तर थाने के पास बाबू गोराई अपनी छत के ऊपर मोबाइल टावर लगा रहे थे जिसकी स्थानीय लोगों ने थाने में शिकायत दर्ज करवा निर्माण कार्य को रोकवा दिया था। बाबू गोराई का कहना है कि थाने की छत पर 3 टावर लगाए गए हैं लेकिन उन्हें टावर नहीं लगाने दिया गया। वहीं आसनसोल नगर निगम की वार्ड संख्या 30 के गोपालनगर में एक सप्ताह पहले टावर लगाने का लोगों ने जमकर विरोध किया। पुलिस ने उक्त टावर लगाने पर रोक लगा दी। इस संबंध में एनसी लाहिड़ी विद्यामंदिर की स्कूल कमेटी के सचिव सुबल कुमार घोष ने कहा कि स्कूल में जब बीएसएनएल का लैंड लाइन फोन चल रहा था, उस दौरान टावर लगाया गया था। उन्होंने कहा कि टावर करीब 40 साल पहले लगाया गया था। इस टावर की ऊंचाई 70 फीट है। इस टावर से रेडियस नहीं निकलता है। रेडियस मोबाइल फोन टावर से निकलता है। बच्चों पर किसी तरह के प्रभाव पड़ने पर स्कूल में टावर लगाने की स्वीकृति नहीं मिलती।