रानीगंज से कई रूटों के बसों का परिचालन बंद होने से यात्री परेशान

प्रतीक फोटो साभार
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रानीगंज : रानीगंज क्षेत्र में कई मिनी बसें बंद हो गई हैं, जिससे यात्रियों को आवागमन में भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है और उन्हें अब अधिक किराया चुकाना पड़ रहा है। अब टोटो और ऑटो में ही यात्रियों को मजबूरन सफर करना पड़ रहा है।

रानीगंज में बंद हुए मुख्य रूट

रानीगंज क्षेत्र के कई प्रमुख मिनी बस रूट बंद हो गए हैं। दरअसल बल्लभपुर-रानीगंज रूट पूरी तरह से बंद हो गया है। आसनसोल से रानीगंज के तिराट, रानीगंज से बांसड़ा, रानीगंज-जामुड़िया और रानीगंज-पांडवेश्वर रूट पर भी कई बसों का परिचालन बंद हो चुका है। इतना ही नहीं, अन्य रूटों पर बसों की संख्या बहुत कम हो गई हैं। शाम ढलने के बाद रानीगंज से दुर्गापुर जाने के लिए बस मिलना मुश्किल हो जाता है।

बसों के बंद होने का कारण टोटो का दबदबा

बस मालिकों का कहना है कि टोटो (ई-रिक्शा) के बढ़ते दबदबे के कारण अधिकांश रूटों की बसें बंद हो गई हैं। शुरुआत में, टोटो चालक यात्रियों को उनके घर के करीब से उठाते थे और बसों के बराबर किराए में गंतव्य तक पहुंचाते थे। इससे कई यात्री बसों को छोड़कर टोटो से यात्रा करने के आदी हो गए। वहीं जैसे ही यात्रियों की कमी के कारण बसें बंद हुईं, कुछ टोटो चालकों ने अपनी मनमानी शुरू कर दी। यात्रियों की मजबूरी का फायदा उठाकर वे मनमाना किराया वसूल रहे हैं। वहीं जो यात्रा पहले 10 रुपये में होती थी, अब उसके लिए 50 रुपये तक चुकाने पड़ रहे हैं। इससे आम आदमी, खासकर कम पेंशन वाले सेवानिवृत्त सरकारी कर्मचारियों और वृद्धों के लिए मुश्किलें बढ़ गई हैं कारण उन्हें कई टोटो बदलने पड़ते हैं या महंगे किराए पर टोटो बुक करने पड़ते हैं।

बस एसोसिएशन की मांग, सरकार करे हस्तक्षेप

शहर के लोगों का कहना है कि मौजूदा हालात में रानीगंज से जिन रूटों की बसों का परिचालन बंद हो गया है, उन्हें फिर से चालू करने की पहल की जाए। इसलिए, उनकी मांग है कि टोटो ड्राइवरों के लिए निश्चित रूट और स्टैंड बनाए जाएं, जहां किराया भी साइन बोर्ड पर स्पष्ट रूप से प्रदर्शित हो। आसनसोल बस एसोसिएशन के सचिव सुदीप राय ने पुष्टि की है कि टोटो के कारण यात्रियों की कमी हो गई थी, जिससे उन्हें कई रूटों पर बसें बंद करने के लिए मजबूर होना पड़ा। सिर्फ रानीगंज ही नहीं, आसनसोल शिल्पांचल के कई रूटों की बसें बंद हो चुकी हैं। बस एसोसिएशन की तरफ से स्थानीय प्रशासन से लेकर राज्य सरकार तक का ध्यान आकृष्ट कराया गया है लेकिन अभी तक बस मालिकों को कोई राहत नहीं मिली है।

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