

अंडाल : ईसीएल के काजोड़ा क्षेत्र अंतर्गत खास काजोड़ा कोलियरी के 10 नंबर पिट में आग लगने से अधिकारियों एवं कामगारों में हलचल मची है। मंगलवार को एग्जास्ट फैन के जरिये खदान के अंदर का धुआं तेजी से बाहर निकलता देखा गया। प्रबंधन ने एहतियातन उक्त कोलियरी में माइनिंग ऑपरेशन स्थगित करते हुए ईसीएल मुख्यालय, डीजीएमएस और माइंस रेस्क्यू स्टेशन को घटना की सूचना दी। डीजीएमएस, ईसीएल के जीएम (सेफ्टी) के दिशा-निर्देश पर माइंस रेस्क्यू टीम ने आग को नियंत्रित करने का काम युद्धस्तर पर शुरू कर दिया। वहीं इस घटना को लेकर खास काजोड़ा कोलियरी के 10 /11 पिट में उत्पादन कार्य ठप है। जिला परिषद उपाध्यक्ष एवं एचएमएस नेता सह ईसीएल के वेलफेयर बोर्ड सदस्य विष्णुदेव नोनियां ने कहा कि स्टॉपिंग टूटने या क्रैक होने के कारण यह समस्या उत्पन्न हुई है। क्षेत्रीय महाप्रबंधक, डीजीएमएस एवं मुख्यालय एवं कोलियरी के अधिकारी आग को फैलने से रोकने के लिए लगातार प्रयासरत हैं। कोयला खदान श्रमिक कांग्रेस नेता रंजीत कुमार भुइयां ने कहा कि 10 नंबर पिट के 8 नंबर लेवल में 2 दिन पहले पुराने स्टॉपिंग से धुआं निकलते देखा गया।
घटना की हो जांच - गुरुदास चक्रवर्ती
सीएमएस (एटक) के महासचिव गुरुदास चक्रवर्ती ने कहा कि प्रबंधन खास काजोड़ा कोलियरी के भविष्य को चौपट करने में तुला है। करीब एक महीना पहले कामगारों ने स्मेल निकलने की बात कोलियरी प्रबंधन को बताई थी। उस वक्त किसी अधिकारी ने कामगारों की बात को गंभीरता से नहीं लिया। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि अधिकारी खदान में नहीं के बराबर उतरते हैं। ऐसे में सुपरविजन के अभाव में यह सब हो रहा है। वहीं जिस जगह फायर हुआ है, वहां से काफी दूर काम चल रहा है। यदि काम के दौरान आग उग्र रूप ले लेता तो कामगार अंदर ट्रैप हो सकते थे। उच्च प्रबंधन इस घटना की जांच करे।
क्या कहते हैं अधिकारी
खास काजोड़ा कोलियरी ग्रुप ऑफ माइंस के अभिकर्ता एमके मिश्रा ने कहा कि खास काजोड़ा कोलियरी पुरानी खदानों में है, जो राष्ट्रीयकरण से पहले शुरू हुई थी। ओल्ड माइनिंग जोन (5, 6, 7 और 8 लेवल) में फायर देखा गया है। उक्त लेवल में वर्ष 1979 में स्टॉपिंग किया गया था जो डैमेज हो गया है। समय रहते प्रबंधन ने स्टॉपिंग की मरम्मत शुरू की थी। 5, 6 और 7 लेवल में क्षतिग्रस्त स्टॉपिंग को ठीक करने में हम सफल भी हुए लेकिन 8 नंबर लेवल में मरम्मत से पहले ढह गया जिस कारण यह समस्या उत्पन्न हुई है। वहीं जिस जगह फायर हुआ है, वहां से करीब 3 किलोमीटर दूर 66 ,67 लेवल में अभी माइनिंग ऑपरेशन चल रहा है, जिसे फिलहाल एहतियातन बंद रखा गया है। फायर कंट्रोल में लाने का प्रयास युद्धस्तर पर जारी है।
तीन-तीन माह के अंतर पर हो रहीं घटनाएं
दिसंबर, मार्च और अब जून का महीना, खास काजोड़ा कोलियरी के 10 /11 पिट के अंदर या आसपास तीन-तीन महीने के अंतराल पर घटनाएं घट रही हैं जिससे कामगारों के साथ-साथ आसपास के लोगों में कौतुहल का माहौल है। ज्ञात हो कि बीते 6 -7 दिसंबर को उक्त कोलियरी के 11 नंबर पिट में पिलर ढहने तथा 10 नंबर पिट में रूफ फॉल की घटना से कामगारों में हलचल मच गई थी। उस वक्त पिलर ढहने व रूफ फॉल होने का आभास होते ही सभी कामगारों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया था, लेकिन उस घटना में लाखों की एक एसडीएल मशीन और इलेक्ट्रिकल उपकरण कोयले के नीचे दब गया जो आज तक नीचे दबा पड़ा है। उस वक्त केकेएससी, एचएमएस, बीएमएस सरीखे श्रम संगठनों ने घटना के लिए प्रबंधन पर निशाना साधते हुए बालू की जगह पीओबी द्वारा स्टोविंग किये जाने को जिम्मेवार ठहराया था। बीते मार्च माह में 10 /11 पिट संलग्न पीडी काजोड़ा में भयावह भू-धंसान में एक स्कूल और उसके पास स्थित एक घर जमींदोज हो गया था। अब उक्त माइंस फायर की चपेट में है।