

दुर्गापुर : कांकसा थाना अंतर्गत पानागढ़ दार्जिलिंग मोड़ स्थित एक रेस्टोरेंट में झाड़-फूंक, बीमारी ठीक करने और कथित ठगी को लेकर बड़ा विवाद खड़ा हो गया। इस दौरान भारी हंगामा होने के बाद मारपीट होने से पुलिस को मोर्चा संभालना पड़ा। वहीं संदिग्ध चिकित्सा गतिविधियों को लेकर दो पक्षों में झड़प हो गई। इसके अलावा रेस्टोरेंट में तोड़फोड़ किए जाने का आरोप है। इस घटना को लेकर इलाके में तनावपूर्ण स्थिति उत्पन्न हो गई। सूचना मिलते ही भारी संख्या में पुलिस मौके पर पहुंची और स्थिति को नियंत्रित किया। इस पूरे मामले ने अब राजनीतिक रंग ले लिया है। इस घटना को लेकर तृणमूल और भाजपा के कार्यकर्ता आमने-सामने आ गए हैं।
क्या है पूरा मामला
आरोप है कि हर रविवार की तरह इस बार भी दूर-दराज से लोग पानागढ़ स्थित एक रेस्टोरेंट में “दुर्लभ रोगों” के इलाज के नाम पर जुटे थे, लेकिन स्थानीय युवकों के एक समूह ने इसे बुजुर्गी यानी अंधविश्वास और ठगी करार देते हुए हंगामा करना शुरू कर दिया। वहीं देखते ही देखते मामला हाथापाई और बवाल में तब्दील हो गया। इस दौरान घटनास्थल पर अफरा-तफरी मच गई और रेस्टोरेंट के अंदर जमकर तोड़फोड़ हुई। दोनों पक्षों के बीच तीखी बहस के बाद हाथापाई शुरू हो गई। इस कारण रेस्टोरेंट का माहौल पूरी तरह तनावपूर्ण हो गया। सूचना मिलते ही कांकसा थाना की पुलिस मौके पर पहुंची और स्थिति को नियंत्रण किया। इसके बाद दोनों पक्षों को रेस्टोरेंट से बाहर निकाल दिया गया। वहीं पुलिस ने तत्परता दिखाते हुए किसी बड़े हादसे को टाल दिया। रेस्टोरेंट के कर्मियों ने बताया कि केवल रेस्टोरेंट का एक हिस्सा किराए पर दिया गया था। वहां क्या गतिविधियां हो रही थीं, इसकी जानकारी नहीं है।
तृणमूल और भाजपा में आरोप-प्रत्यारोप
इस बीच तृणमूल कांग्रेस की ओर से आरोप लगाया गया कि इस पूरे घटनाक्रम के पीछे भाजपा की साजिश है। उन्होंने कहा कि अगर किसी को किसी गतिविधि पर आपत्ति हो तो वह प्रशासन के पास जा सकता है। रेस्टोरेंट में घुसकर मारपीट और तोड़फोड़ करना गलत है। दूसरी ओर भाजपा नेताओं ने इन आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया। भाजपा के जिला उपाध्यक्ष रमन शर्मा ने बताया कि यह तृणमूल की विफलता को छिपाने का एक तरीका है। तृणमूल कार्यकर्ता बेबुनियाद आरोप लगा रहे हैं। वहीं घटना के बाद रेस्टोरेंट के बाहर पुलिस को तैनात किया गया ताकि किसी प्रकार की अप्रिय घटना को रोका जा सके। आरोप है कि बीमारी ठीक करने के नाम पर गरीब लोगों को धर्म परिवर्तन के लिए उकसाया जा रहा था।