युद्ध के आसार को देखते हुए सिविल डिफेंस आज करेगा मॉक ड्रिल प्रशिक्षण का आयोजन

मॉक ड्रील प्रशिक्षण का प्रतीक फोटो नेट से साभार
मॉक ड्रील प्रशिक्षण का प्रतीक फोटो नेट से साभार
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आसनसोल : पहलगाम आतंकी हमले के बाद से भारत-पाकिस्तान के बीच काफी तनाव का माहौल है। दोनों देशों के बीच तनाव को देखते हुए युद्ध की आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता है। देश भर में युद्ध की स्थिति से निपटने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर सिविल डिफेंस मॉक ड्रिल आयोजित किया जाएगा। गृह मंत्रालय के निर्देश पर देश के सभी राज्यों में इसका प्रशिक्षण दिया जाएगा। मॉक ड्रिल का उद्देश्य युद्ध तथा आपातकालीन स्थिति जैसे हवाई हमले आदि को देखते हुए नागरिकों को अपनी सुरक्षा के लिए प्रशिक्षित करना है। बुधवार को पश्चिम बर्दवान जिले के जिलाधिकारी कार्यालय के सिविल डिफेंस भवन में मॉक ड्रिल का प्रशिक्षण प्रारंभ किया जाएगा। इसकी पुष्टि जिला प्रशासनिक अधिकारियों ने कर दी है।

सायरन टेस्ट के साथ प्रशिक्षण

सिविल डिफेंस भवन के मैदान में बुधवार को युद्ध के दौरान लोगों को हवाई हमले की चेतावनी देने के लिए नागरिकों को सतर्क करना जरूरी है। इसके लिए मॉक ड्रिल प्रशिक्षण के दौरान सायरन बजाए जा सकते हैं। सायरन सुनकर नागरिकों को घबराने के बजाय सावधानी बरतने की जरूरत है। युद्ध के दौरान आम नागरिकों को सुरक्षित रहने के उपाय व तरीके सिखाए जाएंगे। इसके तहत कॉलेज, स्कूल व विश्वविद्यालयों के विद्यार्थियों को भी प्रशिक्षण दिया जाएगा। ऊंची इमारतों में रहने वालों को जगह खालीकर सुरक्षित स्थानों पर जाने जैसे अभ्यास को भी शामिल किया जा सकता है। मॉक ड्रिल के तहत लखनऊ की पुलिस लाइन में सायरन टेस्ट का रिहर्सल किया गया। कयास लगाया जा रहा है कि ऐसा ही टेस्ट और प्रशिक्षण जिले के सिविल डिफेंस द्वारा किया जा सकता है।

1971 में आसनसोल में बजा था चेतावनी सायरन

जानकारी के अनुसार, 1971 में भारत-पाक युद्ध के दौरान आसनसोल शहर में हवाई हमले की चेतावनी सायरन बजाया गया था। सायरन बजने पर लोगों को सुरक्षा के लिए दिए गए निर्देशों का पालन करना पड़ता था जैसे कि सुरक्षित स्थानों पर चले जाना या अपने घरों में छिप जाना और कई अन्य उपाय। चेतावनी सायरन बजते ही रात में घर के लाइट को बुझा दिया जाता था। जानकारों का कहना है कि हटन रोड मोड़ के पास स्थित अटवाल भवन पर यह सायरन लगाया गया था। किसी भी तरह की गंभीर स्थिति की संभावना को देखते हुए वह सायरन बजाया जाता था। सायरन बजते ही लोग तुरंत हरकत में आ जाते थे।

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