
आसनसोल : आखिरकार एक बार फिर हिंदीभाषियों के साथ खेल हो गया। आसनसोल के एक स्थान पर महाराणा प्रताप की मूर्ति लगने की तैयारी हो गयी थी। मेयर सह बाराबनी के विधायक बिधान उपाध्याय, जामुड़िया के विधायक हरेराम सिंह द्वारा संयुक्त रूप से घोषित किये गये महाराणा प्रताप की मूर्ति लगाने की घोषणा, मात्र घोषणा ही रह गयी। हिंदीभाषियों का कहना है कि उन्हें इस बात की खुशी है कि दूसरे विद्वानों की मूर्ति लग रही है पर उन्हें इस बात का दुख अवश्य है कि वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप की प्रतिमा आज भी आसनसोल में एक स्थान पाने के लिए तरस रही है। यह हिंदीभाषियों के लिए बड़ी ही पीड़ादायक स्थित बयां कर रही है।
क्षत्रिय समाज से उठ रहे विरोध के स्वर
बता दें कि कुछ सालों से क्षत्रिय समाज सहित हिंदीभाषियों द्वारा यह प्रयास किया जा रहा है कि महाराणा प्रताप की एक मूर्ति आसनसोल के किसी चौराहे पर लगे। इसके लिए समाज द्वारा पूरी तैयारी भी कर ली गयी थी पर आरोप है कि राजनीतिक कारणों से महाराणा प्रताप की मूर्ति लगने नहीं दी गयी। आसनसोल के दो कद्दावर नेताओं की लड़ाई में महाराणा प्रताप की मूर्ति लग नहीं पायी। इससे हिंदीभाषियों में घोर निराशा है। बता दें कि महाराणा प्रताप की मूर्ति बनकर राजस्थान में तैयार है पर उसे लगाने के लिए आसनसोल में एक स्थान तक नहीं दिया जा रहा है। उल्लेखनीय है कि महाराणा प्रताप न सिर्फ क्षत्रियों के बल्कि दूसरे समाज के भी आदर्श हैं। अब लोग इस मुद्दे पर आंदोलन करने की तैयारी में आ गये हैं। संभव है कि आने वाले दिनों में इसके लिए आंदोलन की घोषणा तक हो जाये।