हाईकोर्ट से जमानत तो मिल पर अपने-अपने पदों पर नहीं लौट पाएंगे तृणमूल के दोनों नेता

बीडीओ के आदेश से हड़कंप
हाईकोर्ट से जमानत तो मिल पर अपने-अपने पदों पर नहीं लौट पाएंगे तृणमूल के दोनों नेता
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बर्दवान : अदालत से सजायाफ्ता तृणमूल कांग्रेस के दो नेताओं को कोलकाता उच्च न्यायालय से बेल मिल गया है। बेल मिल जाने के बावजूद वे अपने पद पर लौट कोई सरकारी कार्य नहीं पायेंगे। बर्दवान-1 ब्लॉक के बीडीओ रजनीश कुमार यादव ने सोमवार को इस संबंध में एक नोटिस जारी किया। उनका नोटिस जारी होते ही जिले के राजनीतिक हलकों में हलचल मच गई। बता दें कि बर्दवान-1 पंचायत समिति के आपूर्ति कर्माध्यक्ष मानस भट्टाचार्य एवं बर्दवान डेवलपमेंट ऑथरिटी की निवर्तमान अध्यक्ष काकोली गुप्ता ता सहित 12 लोगों को अदालत ने सजा सुनाई है। उल्लेखनीय है कि 28 मार्च को बर्दवान फास्ट ट्रैक द्वितीय न्यायालय के न्यायाधीश अरविंद मिश्रा ने बर्दवान 1 पंचायत समिति के कर्माध्यक्ष तथा बर्दवान 1 ब्लॉक युवा तृणमूल कांग्रेस के अध्यक्ष मानस भट्टाचार्य, रायण 1 ग्राम पंचायत के अध्यक्ष कार्तिक बाग तथा रायना के तृणमूल अध्यक्ष शेख जमाल समेत 12 लोगों को रायना 1 ग्राम पंचायत के सदस्य देबू पाल के पिता जीवनकृष्ण पाल पर हमला करने तथा हत्या का प्रयास करने के आरोप में भारतीय न्याय संहिता की धारा 326 तथा 307 के तहत दोषी करार देते हुए 10 वर्ष कारावास की सजा सुनाई थी। इसी आरोप में बीडीए की अध्यक्ष और बर्दवान 1 ब्लॉक तृणमूल कांग्रेस की अध्यक्ष काकोली गुप्ता ता को उनकी बीमारी को ध्यान में रखते हुए तीन साल की जेल की सजा सुनाई गई। न्यायाधीश अरविंद मिश्रा ने उसी दिन काकोली गुप्ता को जमानत भी दे दी। इसके बाद, 12 दोषी तृणमूल कार्यकर्ताओं ने जमानत के लिए आवेदन करते हुए उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया। अंततः सोमवार को कोलकाता उच्च न्यायालय से उन्हें अंतरिम जमानत मिल गयी। मंगलवार रात बर्दवान जेल से तृणमूल कांग्रेस के 12 नेताओं और कार्यकर्ताओं को रिहा कर दिया गया। हालांकि, सोमवार को पूर्व बर्दवान जिला तृणमूल भवन में दूसरी बार जिला अध्यक्ष चुने गए रवींद्रनाथ चटर्जी पार्टी कार्यकर्ताओं के पास बधाई लेने पहुंचे थे। इस दौरान उन्होंने बताया कि सजा प्राप्त करने वाले नेताओं को बेल मिल गया है तो उन्हें पदों पर लौटने में कोई बाधा नहीं है। इसी बीच बर्दवान 1 के बीडीओ ने काकोली गुप्ता ता और मानस भट्टाचार्य को नोटिस जारी कर कहा कि वे राज्य पंचायत अधिनियम की धारा 100(1) के अनुसार कोई भी सरकारी काम नहीं कर पाएंगे।

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