ईसीएल को रैक की अंडर लोडिंग से पांच वर्ष में 205.78 करोड़ का हुआ नुकसान

प्रत्येक वर्ष बढ़ता जा रहा है रैक की अंडर लोडिंग का चार्ज
रैक मेें कोयला लोड करते जेसीबी
रैक मेें कोयला लोड करते जेसीबी
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सांकतोड़िया : ईसीएल में रैक की अंडर लोडिंग से कंपनी को पांच वर्ष के दौरान 205.78 करोड़ रुपया जुर्माना के रूप में भुगतान रेलवे को करना पड़ा है। सूत्रों के अनुसार रैक की अंडर लोडिंग चार्ज प्रत्येक वर्ष बढ़ता जा रहा है। आखिरकार किसकी लापरवाही के कारण खर्च बढ़ता जा रहा है, यह सवाल अहम है। ईसीएल को चालू वित्तीय वर्ष 2024-25 में 53.26 करोड़ रुपया जुर्माना के रूप में भरना पड़ा है। ईसीएल के आंकड़ों पर गौर करें, तो रेलवे वैगन में क्षमता के मुताबिक कोयला डिस्पैच नहीं होने से कंपनी को प्रत्येक वर्ष जुर्माना भरना पड़ रहा है। गत वित्त वर्ष में समान अवधि में 35.32 करोड़ रुपया अंडर लोडिंग से नुकसान हुआ था। अंडर लोडिंग के कारण ईसीएल को हो रहे घाटे में कमी के बजाय वृद्धि हुई है। बता दें कि अंडर लोडिंग चार्ज से कंपनी को हो रहे आर्थिक नुकसान को लेकर ईसीएल प्रबंधन ने ‘मिशन अंडर लोडिंग मिनिमाइजेशन’ की शुरूआत की थी। इस बावत सभी एरिया प्रबंधन व सेल्स एंड मार्केटिंग के अधिकारियों को हर हाल में अंडर लोडिंग पर अंकुश लगाने की बात कही गई थी। बावजूद इसके अंडर लोडिंग में कमी के बजाय वृद्धि हुई है।

अंडर लोडिंग घाटे की मुख्य वजह

नाम नहीं छापने की शर्त पर एक अधिकारी ने बताया कि अंडर लोडिंग घाटे के कई कारण होते हैं। उन्होंने कहा कि पहला कारण साइडिंग में कोयले का अभाव, दूसरा कारण पे-लोडर मशीन में वेटो मीटर का ना होना, तीसरा कारण निजी कंपनी को जुर्माने की राशि से बचाने व कांट्रेक्टर से जुर्माने की राशि की कटौती ना करना अंडर लोडिंग का मुख्य कारण बताया जाता है। इसमें साइडिंग के संबंधित अधिकारी और पे-लोडर ऑपरेटर की लापरवाही से भी इंकार नहीं किया जा सकता है।

क्या है अंडर लोडिंग चार्ज

रेलवे को अंडर लोडिंग चार्ज इसलिए देना पड़ता है कारण यह एक प्रकार का दंड है जो तब लगाया जाता है जब एक रैक में सामान की मात्रा निर्धारित न्यूनतम वजन से कम होती है। वहीं कंपनी रेलवे को एक न्यूनतम वजन निर्धारित करती है जो रैक में होना चाहिए। कंपनी यदि निर्धारित न्यूनतम वजन से कम सामान लोड करती है, तो इसे अंडर लोडिंग माना जाता है। रेलवे इस अंडर लोडिंग के लिए एक अतिरिक्त चार्ज (अंडरलोडिंग चार्ज) लेता है जो कि निर्धारित न्यूनतम वजन और वास्तविक वजन के बीच के अंतर के आधार पर होता है।

क्या कहते हैं श्रम संगठन

रेलवे को प्रत्येक वर्ष ईसीएल की ओर से अंडर लोडिंग चार्ज के लिए भुगतान किए जा रहे जुर्माने को लेकर श्रम संगठनों ने प्रबंधन की लापरवाही करने का आरोप लगाया है। श्रम संगठनों का कहना है कि एक बार जुर्माना लग गया तो दूसरे वर्ष प्रबंधन को सतर्क हो जाना चाहिए था परंतु ऐसा नहीं होने के कारण जुर्माना बढ़ता गया है। इस पर ईसीएल सीएमडी को कड़ा कदम उठाना चाहिए और एरिया सेल्स मार्केटिंग अधिकारी पर कड़ा एक्शन लेना चाहिए।

जुर्माने का आंकड़ा

ईसीएल को वर्ष 2020- 21 में 38.13करोड़, वर्ष 2021- 22 में 37.84 करोड़, वर्ष 2022- 23 में 41.33 करोड़, वर्ष 2023-24 में 35.32 करोड़, वर्ष 2024-25 में 53.26 करोड़ रुपया का जुर्माना भरना पड़ा है।

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