ईसीएल की रेल साइडिंग में लगायी जाएगी मिशन अंडर लोडिंग मिनिमाइजेशन तकनीक

अंडर लोडिंग चार्ज जुर्माना से बचने के लिए उठाया जा रहा विशेष कदम
रैक में कोयला लोडिंग होते
रैक में कोयला लोडिंग होते
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सांकतोड़िया : ईसीएल ने अंडर लोडिंग कम करने के लिए नई तकनीक अपनाने का फैसला किया है। यह कदम कंपनी को हो रहे नुकसान को कम करने के उद्देश्य से उठाया गया है। जानकारी के अनुसार ईसीएल ने "मिशन अंडर लोडिंग मिनिमाइजेशन" शुरू किया है। अंडर लोडिंग का मतलब है कि कोयला ढोने वाले वैगन रेकों को उसकी क्षमता के अनुसार कोयला नहीं भरा जाता। इससे कंपनी को नुकसान होता है कारण रेलवे को वैगन की पूरी क्षमता के हिसाब से ही किराया देना पड़ता है, भले ही उसमें कोयला कम भरा हो।

नई तकनीक क्या है

नई तकनीक का इस्तेमाल करके ईसीएल कोयला भरने वाले क्षेत्रों में उपकरणों का उपयोग करेगी ताकि वैगन को उसकी क्षमता के अनुसार पूरा भर सके। इससे कंपनी को अंडर लोडिंग चार्ज से होने वाले नुकसान से बचा जा सकेगा।

क्यों है यह जरूरी

ईसीएल को वित्तीय वर्ष 2024-25 में अंडर लोडिंग के लिए 53.26 करोड़ रुपया जुर्माना भरना पड़ा है। ईसीएल के आंकड़ों पर गौर करें तो रेलवे वैगन में क्षमता के मुताबिक कोयला डिस्पैच नहीं होने से कंपनी को प्रत्येक वर्ष जुर्माना भरना पड़ रहा है। गत वित्त वर्ष में समान अवधि में 35.32 करोड़ रुपया अंडर लोडिंग से नुकसान हुआ था। अंडर लोडिंग के कारण ईसीएल को हो रहे घाटे में कमी के बजाय वृद्धि हुई है। सूत्रों ने बताया कि यह नुकसान कंपनी के वित्तीय प्रदर्शन को प्रभावित करता है। नई तकनीक से अंडर लोडिंग कम करके ईसीएल अपने वित्तीय प्रदर्शन में सुधार कर सकती है।

क्या कहता है ईसीएल प्रबंधन

ईसीएल प्रबंधन का कहना है कि रेलवे दोनों तरफ से जुर्माना वसूलता है। अगर क्षमता से अधिक कोयला लोड हो जाए या क्षमता से कम लोड हो जाए, दोनों ही स्थितियों में जुर्माना भरना पड़ता है। प्रबंधन का कहना है कि सरासर इसमें ईसीएल अधिकारी की गलती नहीं बल्कि सबसे ज्यादा गलती रेलवे विभाग की है। उन्होंने कहा कि रेल के खाली बॉक्स का वजन अलग-अलग रहता है। खाली बॉक्स का वजन 19 टन से लेकर 23.8 टन तक होता है जबकि रेलवे 20.6 टन मानकर चलता है। वहीं अगर सभी बॉक्सों का वजन एक समान रहेगा तो कोई दिक्कत नहीं होगी परंतु अलग-अलग वजन होने के कारण किसी बॉक्स में ओवर लोड तो किसी में अंडर लोड हो जाता है। ऐसे में अंडर लोडिंग से होने वाले नुकसान को कम करने के लिए नई तकनीक अपनाने का फैसला किया गया है। यह कदम कंपनी के वित्तीय हित में है और इसे अंडर लोडिंग से होने वाले नुकसान से बचाया जा सकेगा। बता दें कि अंडर लोडिंग चार्ज से कंपनी को हो रहे नुकसान को ईसीएल सीएमडी सतीश झा ने गंभीरता से लिया है। साथ ही ‘मिशन अंडर लोडिंग मिनिमाइजेशन’ की शुरूआत की है। सभी एरिया प्रबंधन व सेल्स एंड मार्केटिंग के अधिकारियों को हर हाल में अंडर लोडिंग चार्ज से कंपनी को हो रहे नुकसान अंकुश लगाने की बात कही है।

प्रथम फेज में झांझरा बांकोला में बैठाया जाएगा

ईसीएल सूत्रों ने बताया कि प्रथम फेज में मिशन अंडर लोडिंग मिनिमाइजेशन को बांकोला एवं झांझरा एरिया की रेलवे साइडिंग में बैठाया जाएगा। यह कदम अगर सफल रहा तब सभी एरिया की रेलवे साइडिंग में इसे लगाया जाएगा।

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