ईसीएल में दर्जनों जलपानगृह हुए बंद, कोयला कर्मियों के चाय-नाश्ते पर भी पड़ी आफत

ईसीएल में दर्जनों जलपानगृह हुए बंद, कोयला कर्मियों के चाय-नाश्ते पर भी पड़ी आफत
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सांकतोड़िया : जिस उद्देश्य से कोयला कर्मियों के नाश्ता करने के लिए कोलियरी से लेकर एरिया स्तर पर खोले गए कई जलपानगृह बंद हो गए तो कई बंद होने के कगार पर खड़े हैं। ऐसे में कर्मचारी अब अपने भोजन और नाश्ते के लिए अन्य व्यवस्था करने को मजबूर हैं। मालूम हो कि कोयला कर्मियों के सुख-सुविधा के ख्याल से कोल इंडिया प्रबंधन ने कोलियरी स्तर से लेकर मुख्यालय स्तर पर जलपान गृह खुलवाए थे, परंतु अब कई जलपान गृह बंद हो चुके हैं और कई बंद होने के कगार पर हैं। इसे लेकर लोगों का कहना है कि एक तरफ प्रबंधन श्रम शक्ति की कमी होना बताता है, वहीं दूसरी तरफ सरपलस बता रहा है। यह कैसे हो सकता है ?

क्या कहते हैं कोयला कर्मी

कोयला कर्मियों का कहना है कि खदानों में काम करने के लिए कई कर्मी दूर-दराज से आते हैं। भूख लगने पर कर्मी जलपानगृह में जाकर अपनी भूख मिटाते थे परंतु जब से जलपानगृह बंद हुआ है, तब से चाय-पानी पीने के लिए दूर जाना पड़ता है। उन्होंने कहा कि ड्यूटी के दौरान कोलियरी परिसर से बाहर जाकर चाय पीना उचित नहीं है। इस दौरान अगर कोई घटना घट जाए तो प्रबंधन जिम्मेवार नहीं होगा। उन्होंने कहा कि जलपान गृह परिसर के अंदर रहता था, तब वहां जाकर अपनी भूख मिटाते थे। वहीं कहा कि प्रबंधन ने सिर्फ मजदूरों के सुख-सुविधा में कटौती की है, जहां कोयला उत्पादन अच्छा हो रहा है, वहां पर जलपानगृह बंद नहीं हुआ है। इससे साफ जाहिर होता है कि प्रबंधन एक आंख में काजल दो दूसरी आंख में सुरमा लगा रहा है। इस तरह का भेदभाव रखना प्रबंधन को शोभा नहीं देता है।

क्या कहता है प्रबंधन

जलपानगृह बंद होने के बारे में ईसीएल प्रबंधन का कहना है कि सभी कर्मी खाना बनाना नहीं जानते, वहीं जो बनाना जानते थे, वे कंपनी से रिटायरमेंट हो चुके हैं। खाना बनाने वाला मिस्त्री नहीं रहने के कारण कई जगहों पर जलपानगृह बंद हो चुका है। वहीं जहां अभी भी खाना बनाने वाले मिस्त्री मौजूद हैं, वहां आज भी जलपानगृह चालू है। उन्होंने कहा कि श्रम शक्ति वास्तविक में सरपलस है, परंतु सभी कुकिंग का काम नहीं जानते हैं। कोयला के सभी कैंटीन बंद होने की बात पूरी तरह से सच नहीं है। कुछ कैंटीन बंद हुए हैं, लेकिन सभी कैंटीन बंद नहीं हुए हैं।

मजदूरों की प्रतिक्रिया

मजदूरों ने कैंटीन बंद होने पर अपनी नाराजगी जताई है, कारण वे भोजन के लिए कैंटीन पर निर्भर थे। कुछ मजदूरों का आरोप है कि कैंटीन की व्यवस्था खराब हो गई है और वे गुणवत्ताहीन भोजन और खराब सेवा से परेशान हैं।

यूनियन की मांग

संयुक्त यूनियन ने कैंटीन को दोबारा खोलने, खाद्य भत्ता देने और ठेकेदारी प्रथा को खत्म करने की मांग की गई है। मजदूरों का कहना है कि कोल इंडिया में इन दिनों लगातार सुविधाओं की कटौती की जा रही है। हालांकि अब गर्मी के दिनों में मजदूरों के लिए प्रबंधन को उचित व्यवस्था को लेकर पहल करनी चाहिए जबकि इन दिनों यहां इसके विपरीत कार्य हो रहा है। मजदूरों को भूखे ही काम करना पड़ रहा है। कई मजदूर काफी दूर-दराज से सुबह ही आते हैं जो खाना लेकर नहीं आते हैं, उन्हें परेशानी होती है।

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