साइबर ठगों ने बर्नपुर निवासी को डिजीटल अरेस्ट कर खाते से उड़ाये 7,22,504 रुपये

दिल्ली पुलिस बता कर बर्नपुर निवासी देवाशीष सिंह को लिया अपने जाल में
साइबर ठगों ने बर्नपुर निवासी को डिजीटल अरेस्ट कर खाते से उड़ाये 7,22,504 रुपये
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आसनसोल /बर्नपुर : डिजिटल अरेस्ट स्कैम आज देश का सबसे बड़ा स्कैम बन चुका है। हर दिन लोग इसके शिकार हो रहे हैं और हर रोज लोगों के बैंक अकाउंट खाली किए जा रहे हैं। सरकार लगातार डिजिटल अरेस्ट को लेकर विज्ञापन के जरिए लोगों को जागरूक कर रही है लेकिन यह स्कैम रुकने का नाम नहीं ले रहा है। ऐसा ही एक मामला बर्नपुर निवासी देवाशीष सिंह के साथ हुआ है, जिसे डिजिटल अरेस्ट कर उसके अकाउंट से 7,22,504 रुपये गायब कर लिए गये। पीड़ित ने आसनसोल साइबर थाना में शुक्रवार को शिकायत दर्ज कराई। साइबर थाना की पुलिस ने बीएनएस 316(2)/318(4)/319(2)/61(2) के तहत मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।

क्या है पूरी घटना

बर्नपुर शांति नगर नेताजी रोड निवासी देवाशीष सिंह ने बताया कि 23 अक्टूबर 2024 को 1 बजे एक अज्ञात नंबर से व्हाट्सएप कॉल आया, जिसमें कॉलर ने खुद को दिल्ली पुलिस बताया और अपने वरिष्ठ से बात करने के लिए उसके कॉल को किसी अन्य से जोड़ दिया। इसके बाद उन्होंने उस कॉल को काट दिया और कुछ सेकंड के बाद एक और अन्य नंबर से व्हाट्सएप कॉल आया, जिसमें कॉलर ने खुद को दिल्ली पुलिस का उच्च अधिकारी बताया और उन्हें सूचित किया कि उसके खिलाफ नारकोटिक और अन्य आपत्तिजनक दवाओं की अवैध तस्करी के लिए एक विशिष्ट आपराधिक मामला दर्ज हुआ है। साथ ही उन्होंने बताया कि आपके खिलाफ न्यायालय में सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी। इसके बाद इस विवाद से निपटने के लिए उक्त कॉलर ने जो प्रस्ताव दिया, उसे उन्होंने स्वीकार कर लिया। इस विवाद को निपटाने के लिए उनकी बातों पर विश्वास किया और उन्हें रुपये देने को कहा गया और कहा कि उनके द्वारा भुगतान किया गया रुपया फंड वैधीकरण के रूप में उस राशि को पूरा होने के 48 घंटे के भीतर वापस कर दिया जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि उनके कार्यकारी उन्हें बाद में वैधीकरण निधि के मामले के बारे में कॉल करेंगे। वहीं कुछ मिनटों के बाद उन्हें एक नंबर से कॉल आया और दो अलग-अलग बैंक खातों में 7,22,504 रुपये भेजने का निर्देश दिया गया। उनके निर्देशानुसार वे इस मामले से छुटकारा पाने के लिए 24/10/2024 को अपने एसबीआई अंकाउट से दो ट्रांजेक्शन में रुपये भेज दिये। इसके बाद उन्होंने उनसे विभिन्न माध्यमों से संपर्क करने की कोशिश की लेकिन ऐसा करने में असफल रहे और अंत में एहसास हुआ कि पूरा मामला साइबर ठगी का था और इसका एक बड़ा नेटवर्क काम कर रहा है।

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