सेल आईएसपी में होने जा रहे यूनियन चुनाव पर छाया संकट के बादल

चुनाव पर फिलहाल रोक की मांग करते हुए कुछ श्रमिक संगठन पहुंचे अदालत
सेल आईएसपी में होने जा रहे यूनियन चुनाव पर छाया संकट के बादल
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बर्नपुर : सेल आईएसपी में यूनियन की मान्यता के लिए होने जा रहे चुनाव को लेकर एक ओर जहां राजनीतिक माहौल गर्म है तो वहीं दूसरी ओर कुछ श्रमिक संगठन विभिन्न कारणों से फिलहाल चुनाव नहीं चाहते हैं। इस चुनाव की प्रक्रिया प्रारंभ होने से पूर्व ही इस चुनाव पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं। जानकारी के अनुसार कुछ श्रमिक संगठनों ने इस चुनाव को फिलहाल टालने की मांग करते हुए कोलकाता उच्च न्यायालय में एक रिट फाइल कर दी है। इस मामले की 8 मई को न्यायाधीश शम्पा दत्त (पॉल) सुनवाई करेंगी। इस मामले के अदालत में पहुंचने से चर्चा का माहौल गर्म हो गया है।

इस मुद्दे पर बीएमएस ने कहा

कोलकाता हाई कोर्ट में दाखिल रिट और चुनावी प्रक्रिया पर बीएमएस ने विपक्षी सभी यूनियनों पर असंवैधानिक रुख अपनाने का आरोप लगाया है। बीएमएस का कहना है कि सेल कर्मियों के लोकतांत्रिक अधिकारों के हनन का प्रयास किया जा रहा है। सीटू के वरिष्ठ नेता मुकुल पॉल द्वारा कोलकाता हाईकोर्ट में दाखिल नई रिट याचिका यह दर्शाती है कि कुछ यूनियनें चुनाव प्रक्रिया से भयभीत हैं और मजदूरों के बीच सीधे संवाद करने की बजाय कानूनी बहानों की आड़ ले रही हैं। बीएमएस के पदाधिकारियों का कहना है कि एआईटीयूसी और एचएमएस इस याचिका में याचिकाकर्ता बनकर इंटक को जान-बुझकर बाहर रख रहे हैं, ताकि कर्मियों को भ्रमित रखा जा सके। यह एक सुव्यवस्थित रणनीति है, जिससे चुनावी प्रक्रिया को बाधित किया जा सके और लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन किया जाए। सीटू और एटक जो कभी संघर्ष और सिद्धांत के प्रतीक थे, आज सत्ता और सुविधा की राजनीति में फंसकर अपने मूल विचारों से भटक चुके हैं। बर्नपुर इस्पात कर्मचारी संघ ऐसे किसी भी प्रयास का विरोध करता है जो कर्मचारियों के लोकतांत्रिक अधिकारों को कुचलने का प्रयास करता हो।

क्या कहना है दूसरे श्रमिक संगठन के पदाधिकारियों का

इस संबंध में एआईटीयूसी और एचएमएस के पदाधिकारियों का कहना है कि वे चाहते हैं कि चुनाव हो पर चुनाव के लिए थोड़ा समय चाहिए। 28 अप्रैल को आरएलसी कार्यालय में बैठक के बाद एक महीने के अंदर चुनाव की घोषणा कर दी गई है। कोई भी चुनाव होने के लिए थोड़ा समय चाहिए। वहीं 20 मई को ऑल इंडिया स्ट्राइक है और इसके दो दिन बाद चुनाव होना कहीं से उचित नहीं है। दूसरे श्रमिक संगठन के पदाधिकारियों ने बीएमएस पर आरोप लगाते हुए कहा कि बीएमएस का सेल प्रबंधन के साथ मिलीभगत है। वहीं इंटक के पदाधिकारियों का कहना है कि बीएमएस इंटक के कार्य एवं प्रचार से डरी हुआ है। बीएमएस मैनेजमेंट से मिला हुआ है और श्रमिकों के अधिकार को खत्म करता जा रहा है। रहा चुनाव होने के बाद तो उनके द्वारा प्रचार-प्रसार किया जा रहा है पर चुनाव के लिए सभी यूनियनों का सहमत होना भी जरूरी है।

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