

जामुड़िया : विद्रोही कवि काजी नजरूल इस्लाम की जयंती के अवसर पर काजी नजरूल विश्वविद्यालय द्वारा चुरुलिया ग्राम में सात दिवसीय नजरूल मेले का आयोजन किया गया है। इस मेले के बारे में जानकारी देते हुए काजी नजरूल विश्वविद्यालय के अंग्रेजी विभाग के अध्यापक और मेला कमेटी के सह सचिव डॉ. शांतनु बनर्जी ने कहा कि काजी नजरूल की जयंती के अवसर पर नजरूल विश्वविद्यालय के सहयोग से स्थानीय गांव के लोगों के तत्वावधान में इस मेले का आयोजन किया गया है।
सात दिवसीय मेला में होंगे विविध कार्यक्रम
इस अवसर पर सात दिवसीय मेला लगता है, जिसमें पांच दिन विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम होंगे जिनमें पर राधा बनर्जी, राघव चटर्जी जैसे बड़े कलाकार आएंगे और अपना गीत-संगीत प्रस्तुत करेंगे। डॉ. शांतनु बनर्जी ने कहा कि मेला में कुल 70 स्टाल लगाए गए हैं, इनमें से 18 स्टॉल हस्तशिल्प कलाकारों के हैं। वहीं जब उनसे पूछा गया कि कवि के परिवार के लोगों की यह शिकायत है कि इस मेला और कार्यक्रम के बारे में उनके परिवार के लोगों को सम्मिलित नहीं किया गया। यहां तक कि सोमवार सुबह प्रभात फेरी निकाली गई, उसमें सम्मिलित होने के लिए भी परिवार के लोगों को आमंत्रित नहीं किया गया। इस पर डॉक्टर शांतनु बनर्जी ने कहा कि ऐसा नहीं है। मेले का आयोजन स्थानीय लोगों द्वारा किया जाता है। काजी नजरूल विश्वविद्यालय सिर्फ उसमें अभिभावक की भूमिका निभाता है।
कई तरह के आरोप आये सामने
डॉ. शांतनु बनर्जी ने कहा यह कहना सही नहीं होगा कि स्थानीय लोगों या नजरूल के परिवार के लोगों को नजरअंदाज किया गया। उन्होंने कहा कि आने वाले 7 दिन यहां काजी नजरूल की याद में विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम होंगे। ऐसे में इस समय इस तरह की बातें न की जाएं तो बेहतर होगा। हालांकि इस बारे में जब उन्होंने कवि के परिवार के एक सदस्य से बात की तो उक्त सदस्य ने कहा कि मेला आयोजन कमेटी द्वारा उनके परिवार से कोई संपर्क नहीं किया गया था न ही सोमवार की प्रभात फेरी में उन्हें शामिल होने के लिए आमंत्रित किया गया था। उन्होंने साफ कहा कि मेला का आयोजन परिवार के लोगों को नजरअंदाज कर किया जा रहा है और इससे गांव का कोई विकास नहीं हो रहा है। वहीं उन्होंने अपनी बातों में अप्रत्यक्ष रूप से मेले के आयोजन को लेकर आर्थिक अनियमितता का भी अंदेशा जताया।