भूली-बिसरी यादें बनकर रह गया है जामुड़िया का नजरूल शतवार्षिकी भवन

19 वर्ष पहले 2006 में तत्कालीन मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य ने किया था 750 चेयर वाली प्रेक्षागृह का उद्घाटन
जर्जर नजरूल शतवार्षिकी भवन
जर्जर नजरूल शतवार्षिकी भवन
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जामुड़िया : आज पूरा देश विद्रोही कवि काजी नजरूल इस्लाम की जयंती का पालन कर रहा है। वहीं उनकी सौवीं वर्षगांठ की याद में निर्मित कवि नजरूल शतवार्षिकी भवन आज भी अपनी बदहाली का रोना रो रहा है। यह भवन अब इतना जर्जर हो गया है कि भवन में प्रवेश करने मात्र से एक भय का अहसास होता है। प्रेक्षागृह की छत जगह-जगह टूटकर गिर रही है। यहां तक कि भवन की दीवार पर भी दरारें पड़ गई हैं। इस ऐतिहासिक महत्व रखने वाले नजरूल शतवार्षिकी भवन का निर्माण 1 करोड़ 26 लाख रुपये की लागत से विभिन्न संस्थाओं एवं नगर पालिका के सहयोग से 750 चेयर वाले प्रेक्षागृह के रूप में किया गया था। 2006 में निर्माण पूरा होने पर तत्कालीन मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य ने इसका उद्घाटन किया था। प्रेक्षागृह का निर्माण का मुख्य उद्देश्य जामुड़िया में सांस्कृतिक विरासत को बनाये रखने का था लेकिन आज नजरूल शतवार्षिकी भवन के रखरखाव में नगर निगम पूरी तरह से असफल हो गया है। इस प्रेक्षागृह में विख्यात जादूगर पीसी सरकार का शो सात दिनों तक लगातार किया गया था। इसके अलावा जिला पुस्तक मेला से लेकर राजनीतिक दलों की ओर से बड़ी-बड़ी सभाएं भी आयोजित की गए हैं, फिर भी आज नजरूल शतवार्षिकी भवन उपेक्षा का शिकार है। 2015 में जामुड़िया का आसनसोल में विलय के उपरांत तत्कालीन मेयर जितेंद्र तिवारी ने 2 करोड़ 50 लाख रुपये से इस भवन का जीर्णोद्धार की घोषणा की थी लेकिन उनके द्वारा दिए गए वादे हवा में गुम हो गये। उसके बाद बाराबानी के विधायक बिधान उपाध्याय को नगर निगम का मेयर बनाया गया तो उन्होंने भी पूर्व मेयर जितेंद्र तिवारी से एक कदम आगे बढ़ते हुए 5 करोड़ 50 लाख रुपये के आवंटन की घोषणा जीर्णोद्धार के लिए कर दी लेकिन उनके वादे भी धरासाई हो गए। नतीजा अब इस ऐतिहासिक नजरूल शतवार्षिकी भवन को लेकर राजनीति शुरू हो गई है।

बरसात होते ही प्रेक्षागृह में टपकता है पानी तो गर्मी में निकलता है पसीना

प्रेक्षागृह की हालत बद से बदतर हो गई है। बरसात होने पर कोई कार्यक्रम आयोजित किए जाने पर लोगों को भारी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। छत से पानी टपकता रहता है तो छत के टुकड़े भी टूटकर गिरते रहते हैं। वहीं प्रेक्षागृह वातानुकूलित नहीं होने की वजह से लोग गर्मी से बेहाल हो जाते हैं कारण 750 चेयर वाले इस प्रेक्षागृह में पंखा काफी दूर-दूर तक लगे रहने की वजह से हवा लोगों तक नहीं पहुंच पाती है जिस वजह से श्रोता से लेकर आयोजक तक परेशान रहते हैं।

प्रेक्षागृह में बरसात में झरना तो अन्य दिनों में पानी की कमी

कांग्रेस के युवा जिला नेता फिरोज खान ने कहा कि जामुड़िया बोरो एक के साथ निगम प्रशासन का भेदभाव पूर्ण रवैया का जामुड़िया नजरूल शतवार्षिकी भवन जिंदा उदाहरण है। प्रेक्षागार रखरखाव के अभाव में चारों तरफ से टूट चुका है। बरसात के दिनों में नजरूल शतवार्षिकी भवन झरने में तब्दील हो जाता है। राज्य सरकार जामुड़िया को नगर निगम से निकलकर पुनः नगर पालिका के मर्यादा में वापस करे, तभी जामुड़िया का समुचित विकास हो पाएगा।

बहुत जल्द ही नजरूल शतवार्षिकी भवन का होगा जीर्णोद्धार - सुब्रत अधिकारी

नगर निगम मेयर परिषद सदस्य सुब्रत अधिकारी ( शिक्षा विभाग ) ने कहा कि मेयर बिधान उपाध्याय ने बताया है कि जामुड़िया, रानीगंज, कुल्टी सहित जितने भी प्रेक्षागृह नगर निगम के अंदर हैं, उन सभी का जीर्णोद्धार का फंड तैयार कर दिया गया है। बहुत जल्द ही जामुड़िया नजरूल शतवार्षिकी भवन का जीर्णोद्धार का इसे आधुनिक भवन का रूप दिया जाएगा।

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