भूगोल के शोध में युवाओं की मानसिकता को बढ़ाना होगा - प्रो. नारायण चंद्र जाना

प्रो. नारायण चंद्र जाना को सम्मानित करते डॉ. अमिताभ बासु
प्रो. नारायण चंद्र जाना को सम्मानित करते डॉ. अमिताभ बासु
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आसनसोल : उषाग्राम स्थित बीबी कॉलेज के सभागार में शनिवार को भूगोल विभाग की ओर से भूगोल के शोध पर विस्तार से चर्चा की गई। मौके पर बर्दवान विश्वविद्यालय के भूगोल विभाग के एचओडी प्रो. नारायण चंद्र जाना मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित थे। कार्यक्रम में स्वागत वक्तव्य में कॉलेज के प्रिन्सिपल डॉ. अमिताभ बासु ने वर्ष 2020 की नई शिक्षा नीति में शोध के महत्व के बारे में बताया। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता प्रो. नारायण चंद्र जाना ने कहा कि भूगोल में शोध के लिए युवाओं को सबसे पहले मानसिकता को जागरूक करना होगा। उसके लिए उन्होंने बहुत सारे वर्णन किये। उन्होंने कहा कि सबसे पहले युवाओं के अंदर शोध की इच्छा होनी चाहिए। उसके साथ शोध की मानसिकता विकसित करनी होगी। भूगोल में क्या-क्या शोध करना पड़ता है, उसके बारे में उन्होंने विस्तार से बताया। प्रो. नारायण चंद्र जाना ने मनुष्य के साथ प्रकृति के संबंध में विस्तार से जानकारी दी। इसके साथ ही शोध प्रणाली, प्रकार, नीति के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि भारत में भूगोल के शोध की कुछ समस्याएं भी हैं। उन्होंने कहा कि वैज्ञानिक दृष्टिकोण से ट्रेनिंग कम होता है। युवा वर्ग का भूगोल के शोध में झुकाव भी थोड़ा कम है। डेटा का यूज भी कम किया जाता है। इसका मिस यूज भी होता है। उन्होंने कहा कि जो डेटा जरूरत है, उसकी रियलिटी भी कम है। उसके बावजूद भूगोल में बहुत-से शोध अच्छे बन रहे हैं। उन्होंने कहा कि सिर्फ किताबें नहीं बल्कि प्रैक्टिकल इंपोर्टेंट रहे तो अगले दिनों में भूगोल का शोध और अच्छा होगा। मौके पर कॉलेज के प्रिन्सिपल डॉ. अमिताभ बासु, डॉ. मानस पाल, डॉ. सत्यब्रत मंडल, सोहिनी नियोगी, सौरव विश्वकर्मा सहित कॉलेज के प्रोफेसर, दूसरे विश्वविद्यालयों के प्रोफेसर उपस्थित थे।

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