

सालानपुर : सालानपुर एरिया के बंजिमिहारी ओसीपी चला रहे आउटसोर्सिंग डेको कंपनी एवं ईसीएल के बीच किया गया एकरारनामा पिछले 31 मार्च को समाप्त हो गया जिस कारण खदान एक अप्रैल से बंद हो गयी है। मालूम हो कि सालानपुर एरिया महाप्रबंधक के सामने एक और चुनौती सामने आ खड़ी हो गयी है। प्रबंधन अभी मोहनपुर ओसीपी की मार से उबर नहीं पाया है कि तब तक दूसरी समस्या बंजिमिहारी ओसीपी सामने खड़ी हो गई है। जानकारों का कहना है कि आउटसोर्सिंग डेको कंपनी का ईसीएल के साथ दो वर्ष के लिए एकरारनामा हुआ था जिसका समय सीमा पिछले 31 मार्च को समाप्त हो गया। प्रबंधन ओसीपी को निरंतर चालू रखने के लिए तीन माह का एक्सटेंशन देने को तैयार था परंतु डेको कंपनी घाटा होने के कारण उसे एक्सटेंशन पर लेने को तैयार नहीं हुई। मालूम हो कि सालानपुर एरिया में एक ही रेल साइडिंग बंजिमिहारी है। वहां पर एरिया के सभी खदानों का कोयला आता है। यहां से रैक द्वारा कोयला पावर हाउस में भेजा जाता है। अभी बंजिमिहारी ओसीपी से उत्पादन बंद होने पर सिर्फ रेल साइडिंग बनकर रह गया है।
टेंडर देने की प्रक्रिया जारी
बंजिमिहारी ओसीपी चालू रखने के लिए ईसीएल प्रबंधन टेंडर जारी करने की प्रक्रिया कर रहा है। सूत्रों ने बताया कि इस बार डेको कंपनी टेंडर में भाग नहीं लेगा। अब सवाल उठता है कि टेंडर कब तक होगा ? टेंडर में कोई पार्टी भाग लेगी या नहीं, यह कहना मुश्किल है। स्थानीय लोग प्रबंधन से सवाल पूछ रहे हैं कि क्या जब तक टेंडर नहीं होगा तब तक खदान बंद रहेगी ? प्रबंधन के सामने इसका कोई जवाब नहीं है।
ईसीएल के वार्षिक उत्पादन लक्ष्य हासिल करने में मोहनपुर बाधक बना था
जानकारों का कहना है कि ईसीएल के 2024-25 का वार्षिक उत्पादन लक्ष्य हासिल नहीं होने के पीछे सालानपुर एरिया के मोहनपुर ओसीपी बाधक बना था। आउट सोर्सिंग कंपनी बिना कोई सूचना दिए खदान बंद कर भाग गयी जिस कारण यह खदान आठ महीने से अधिक समय से बंद रही। इस खदान से कंपनी को सालाना 2 मिलियन टन उत्पादन होता है। अगर खदान 2 मिलियन टन पूरा कर लेती तो ईसीएल अपना उत्पादन लक्ष्य पूरा कर लेती। आठ महीना बाद प्रबंधन किसी तरह मोहनपुर चालू करा पाया है, फिर भी फूल फेज में चालू नहीं हो पाया है।
दो वर्षों के लिए हुआ था एकरारनामा
ईसीएल प्रबंधन ने डेको कंपनी को दो वर्षों के एकरारनामा पर दिया था। दो वर्ष 31 मार्च को पूरा हो गया है। ईसीएल प्रबंधन ने माइंस के सटे हुए घर रहने के कारण ब्लास्टिंग करने में काफी परेशानी हो रही थी। आए दिन खदान से पत्थर का टुकड़ा उड़कर किसी न किसी के घर पर जाकर गिरता था जिसमें कई लोग घायल भी हुए थे। प्रबंधन ने स्थिति को देखते हुए ब्लास्टिंग फ्री माइंस बनाकर वाइब्रो रिपर माइंस बनाया जिसका उद्घाटन पूर्व निदेशक योजना परियोजना जयप्रकाश गुप्ता ने किया था। डेको कंपनी ने वाइब्रो रिपर से काम करना शुरू किया था परंतु सफलता नहीं मिल पायी। अंततः फिर से ब्लास्टिंग माइंस बन गयी है।
क्या कहता है प्रबंधन
प्रबंधन का कहना है कि मोहनपुर ओसीपी बंद होने के कारण उत्पादन पर प्रतिकूल असर पड़ा है। वहां से सालाना 2 मिलियन टन कोयले का उत्पादन होता था। 8 महीना बंद होने के कारण वे लक्ष्य से पीछे रह गए हैं। उन्होंने कहा कि यदि मोहनपुर चालू रह जाता तो दिए गए वार्षिक उत्पादन लक्ष्य से ज्यादा कोयले का उत्पादन होता।