रास्ते का हाल बदहाल, बीमार को अस्पताल ले जाना पड़ता है कंधे पर लादकर

रास्ते का हाल बदहाल, बीमार को अस्पताल ले जाना पड़ता है कंधे पर लादकर
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मुर्शिदाबाद : गांव की कच्ची सड़क की हालत बेहद खराब हो गई है। बड़े वाहन तो दूर, छोटे वाहन तक इस रास्ते से होकर आना-जाना करने नहीं पा रहे हैं। यहां की एक गर्भवती महिला को अस्पताल ले जाने के लिए एंबुलेंस को खबर करने पर वह रास्ते की दुर्दशा के कारण गांव में प्रवेश करने नहीं सका। ऐसे में ग्रामीणों को गर्भवती महिला को स्ट्रेचर पर लादकर कंधे पर लेकर बाहर रास्ते तक ले जाना पड़ा ताकि उसे अस्पताल ले जाया जा सके। यह तस्वीर सुति विधानसभा क्षेत्र के हरुआ जीपी के पाराईपुर इलाके में सामने आई है। ग्रामीणों के अनुसार कलम और कागज में यहां सड़क है। वहीं प्रत्यक्ष में सड़क का कोई नामोनिशान नहीं है। बताया जाता है कि राज्य सरकार ने लगभग डेढ़ साल पहले मुर्शिदाबाद के सुति -1 ब्लॉक के हरुआ ग्राम पंचायत के सुदूर पाराईपुर गांव में लगभग 1 किलोमीटर पक्की सड़क के निर्माण के लिए 39 लाख रुपये आवंटित किए थे ताकि गांव के आम लोग 'पथश्री' परियोजना की सड़क का उपयोग कर लाभान्वित हो सकें। हालांकि, यह आरोप लगाया गया है कि स्थानीय बीडीओ कार्यालय से सड़क निर्माण कार्य के लिए 'कार्य आदेश' प्राप्त करने के बाद, जिम्मेदार ठेकेदार ने आज तक गांव में सड़क निर्माण कार्य शुरू नहीं किया है। इस कारण गांव के हजारों निवासी बड़ी कठिनाई में रह रहे हैं। हाल ही में सोशल मीडिया पर वायरल हुए गांव के एक वीडियो में सच्चाई का यह चेहरा देखा जा सकता है। इधर कई दिनों की बारिश में गांव की सड़क कीचड़ से भर गई है, इसलिए गर्भवती महिला के परिवार के सदस्य उसे स्ट्रेचर पर लादकर इलाज के लिए नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र ले जाने को मजबूर हुए हैं। स्थानीय सूत्रों के अनुसार, 9 फरवरी, 2024 को पाराईपुर गांव में दक्षिणपाड़ा और पूर्वपाड़ा के बीच सड़क बनाने के लिए कंपनी को 'वर्क ऑर्डर' दिया गया था, लेकिन पिछले डेढ़ साल से यह आरोप लगाया गया है कि कंपनी ने गांव में एक मीटर भी सड़क का निर्माण नहीं किया है। इस कारण हल्की बारिश में भी गांव की सड़कें घुटनों तक कीचड़ में डूब जाती हैं। वहीं जब गांव में कोई व्यक्ति बीमार पड़ता है तो कोई एंबुलेंस या अन्य वाहन प्रवेश नहीं कर सकता है। ऐसे में ग्रामीणों को बीमार व्यक्ति या महिला को कंधे या स्ट्रेचर पर लादकर इलाज के लिए नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र या अस्पताल ले जाने के लिए मजबूर होना पड़ता है।

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