
मुर्शिदाबाद : बोल हरि - हरि बोल संकीर्तन नहीं बल्कि ढोल, ढाक व तासा पार्टियों के साथ मृतक का पार्थिव शरीर श्मशान घाट पहुंचा। इस दौरान मातम का माहौल नहीं था, बल्कि 100 की उम्र पार कर चुकीं कमला रानी घोष का अंतिम संस्कार पारंपरिक नृत्य व गायन के साथ किया गया। जानकारी के अनुसार करीब ढाई सौ साल पहले बिहार से आए लोगों के एक समूह ने नवग्राम के जीवंती नाला के बगल में डेरा डाला था। जीवंती नाला के इर्द-गिर्द बड़ा बथान व छोटा बथान बनाया गया था। नवग्राम थाना के किरीटेश्वरी ग्राम पंचायत के इन दोनों बथानों में मुख्य रूप से घोष समाज रहता है। कमला रानी घोष इसी बड़ा बथान की निवासी थीं। उन्होंने 101 वर्ष की उम्र में शनिवार की रात बड़ा बथान स्थित अपने घर में अंतिम सांस ली। पांच बेटों और दो बेटियों की इस मां के 100 वर्ष की उम्र पार करने पर उनके परिवार के लोगों ने हंसी-खुश उनका अंतिम संस्कार किया। हालांकि पिछले कुछ समय से कमला रानी घोष की याददाश्त कुछ धुंधली हो गई थी जबकि 52 साल पहले अपने पति साकी चंद घोष को खोने के बाद भी कमला देवी साफ देख सकती थीं और तेजी से चलती थीं। दूध के साथ-साथ उन्हें रोजाना भोजन में रोटी खाना ज्यादा पसंद था। उन्होंने खुद एक बार कहा था कि उनकी मौत पर कोई शोक नहीं मनाये बल्कि उनका अंतिम संस्कार भव्य तरीके से किया जाये। शायद उन्हें एक सौ साल से अधिक जीने का एहसास हो गया था, तभी उन्होंने ऐसा अनुरोध परिवार के लोगों से किया था। मृतका के पोते जितेंद्र, उत्पल, सनी और दीपक ने बताया कि उन्होंने उनकी इच्छा को प्राथमिकता देते हुए अबीर मिलाकर और तासा पार्टी बुलाकर धूमधाम से उनका अंतिम संस्कार किया। वहीं उनकी मौत के बाद 55 लोगों ने अपना मुंडन कराया। मृतका के बेटे गंभीर लाल घोष और अंबीर लाल घोष ने कहा कि जब उनकी मां 100 साल की हुईं तो वे लोग बहुत खुश थे। हालांकि, बीस दिन पहले वह बाथरूम में बीमार पड़ गई थी। उनके लिए यह सांत्वना की बात रही कि उनका निधन शांति तथा गरिमा के साथ हुआ। रविवार दोपहर लालबाग सदरघाट पर उनका अंतिम संस्कार किया गया।