

मुर्शिदाबाद : 1950 में "जनता का स्टेशन, जनता का टिकट" के नारे के साथ जो आंदोलन किया गया था, वह आज भी पीरतला हॉल्ट स्टेशन को लेकर जारी है। नतीजतन, स्टेशन को पूर्ण स्टेशन में बदलने की मांग को लेकर बुधवार से धरना शुरू हो गया है। यह शुक्रवार तक जारी रहेगा। उल्लेखनीय है कि देश को आजादी मिलने से पहले अर्थात 1914 में लालगोला-सियालदह शाखा पर ट्रेनें चलने लगी थीं। उस समय पीरतला उस शाखा का टर्मिनल स्टेशन नहीं था। नतीजतन, लालगोला थाना और भगवानगोला थाना के लोगों को स्टेशन पर उतरने के बाद काफी दूर पैदल या साइकिल से अपने गंतव्य तक पहुंचना पड़ता था। इस कारण निवासियों ने 1968 में पीरतला स्टेशन की मांग को लेकर आंदोलन शुरू किया। उस समय आंदोलनकारी लाल झंडा दिखाकर ट्रेन को रोकने के लिए मजबूर करते थे और 10 पैसे के बदले सफेद कागज पर रबर स्टांप वाले टिकट देने लगे थे। आंदोलन के परिणामस्वरूप, रेलवे विभाग ने 22 अगस्त, 1970 को पीरतला स्टेशन को हाल्ट स्टेशन की मान्यता दी। हालांकि लोगों ने स्टेशन की मांग की थी। उसके बाद, 1993 में निवासियों ने पीरतला हॉल्ट रेलवे स्टेशन विकास समिति का गठन किया और हॉल्ट के बजाय एक पूर्ण स्टेशन की मांग की थी। रेलवे के नियमों के अनुसार, यदि प्रतिदिन 300 यात्री और सालाना 9 लाख रुपये के टिकट बेचे जाते हैं, तो उस स्टेशन से हॉल्ट को हटा लिया जाता है। समिति का दावा है कि पीरतला ने उस शर्त को पूरा किया है। वित्तीय वर्ष 2023-24 में, उस स्टेशन से 87 लाख 60 हजार रुपये के टिकट बेचे गए थे। इस संबंध में संगठन के संस्थापक सचिव बीरेंद्र नाथ मंडल ने कहा कि वहां के लोग दशकों से वैध तरीके से पीरतला स्टेशन के विकास के लिए आंदोलन कर रहे हैं, लेकिन रेलवे उन्हें लगातार वंचित करता आ रहा है। उनकी मांगें अगर पूरी नहीं हुईं तो वे लोग 29 और 30 अक्टूबर को भूख हड़ताल करेंगे और 26 नवंबर को रेलवे चक्का जाम करेंगे।