

रानीगंज : पश्चिम बर्दवान जिले में पिछले तीन सालों में 100 से अधिक शॉ मिल अर्थात काठगोला बंद हो चुके हैं। वहीं आगे भी शॉ मिलों पर संकट गहराता जा रहा है। इस बात का खुलासा कोलफिल्ड टिंबर एण्ड शॉ मिल ऑनर एसोसिएशन के 42वें वार्षिक सभा में किया गया। रानीगंज के सीआर रोड स्थित सीतारामजी भवन में कोलफिल्ड टिंबर एण्ड शॉ मिल ऑनर एसोसिएशन की वार्षिक सभा आयोजित की गई थी। इस वार्षिक सभा में आसनसोल-दुर्गापुर डिविजन से लगभग 80 से 90 शॉ मिल ऑनर बतौर प्रतिनिधि के रूप में उपस्थित हुए। इस सम्मेलन में नयी कमेटी का गठन भी किया गया। सर्वसम्मति से चौथी बार संजय तिवारी को ही एसोसिएशन का अध्यक्ष बनाया गया। 15 सदस्यीय इस कमेटी में आसनसोल-दुर्गापुर के प्रतिनिधियों को महत्वपूर्ण दायित्व सौंपा गया है। इनमें उपाध्यक्ष नियामतपुर क्षेत्र से हरीश शेठ, सचिव जामुड़िया क्षेत्र से कृष्णाकांत बनर्जी, जबकि कोषाध्यक्ष रानीगंज क्षेत्र से शॉ मिल मालिक कैलाश क्याल को बनाया गया है। इसके अलावा इस नयी कमेटी में तीन संयुक्त सचिव देवेन्द्र पटेल, प्रवीण पटेल एवं गुरमित सिंह को बनाया गया है। इसके अलावा कार्यकारिणी समिति में जयंती पटेल, कृष्णभूषण सिंह, निंरजन शर्मा एवं चन्द्रदीप को शामिल किया गया है। कोलफिल्ड टिंबर एण्ड शॉ मिल ऑनर एसोसिएशन के एडवाइजर के रूप में खेमजी भाई पटेल, प्रकाश सिंह, आनंद अग्रवाल, किशोर भाई पटेल को दायित्व सौंपा गया है। चौथी बार एसोसिएशन के अध्यक्ष बने संजय तिवारी ने कहा कि शॉ मिल मालिकों पर संकट गहराता जा रहा है। दिन पर दिन एक-एक करके शॉ मिल बंद हो रहे हैं। पिछले तीन सालों में 100 से अधिक शॉ मिल बंद हो चुके हैं। इससे न केवल मालिकों का नुकसान हुआ है बल्कि प्रत्यक्ष रूप से जुड़े 200 से अधिक लोग भी बेरोजगार हुए हैं। इस तरह देखा जाए तो प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रुप से जुड़े लगभग 1 हजार से अधिक लोग प्रभावित हुए है। फॉरेस्ट डिपार्टमेंट भी शॉ मिल के प्रति अपना रवैया सामान्य नहीं कर रहा है बल्कि जटिलताओं से घिरता जा रहा है। वहीं लाइसेंस के नवीनीकरण में भी काफी दिक्कते आ रही हैं। शॉ मिल बंद होने की और एक मुख्य वजह है रॉ मैटेरियल की कमी। आज बाजार में सस्ती लकड़ियों की जरुरत ज्यादा है और विभिन्न कारणों से बाजार की जरूरत पूरी नहीं हो पा रही है।