

सांकतोड़िया : कोयला खदानों को धीरे-धीरे एमडीओ मोड में चलाने के लिए निजी हाथों में दिया जा रहा है ताकि कोयला उत्पादन में बढ़ोतरी हो सके। गंभीर बात यह है कि एमडीओ यानी निजी कंपनी के हाथों में कोल प्रोजेक्ट्स जाने के बाद यहां कोल इंडिया की आर एंड आर पॉलिसी लागू नहीं होगी। मालूम हो कि कोल इंडिया लिमिटेड के 28 कोल प्रोजेक्ट्स माइन डेवलपर सह ऑपरेटर के हाथों में होंगे। इनमें छह से कोयला उत्पादन भी प्रारंभ हो चुका है। जानकारों का कहना है कि कोयला मंत्रालय कोयला खदानों को एमडीओ मोड देने के लिए तेजी से काम कर रहा है। कोयला मंत्रालय की एक रिपोर्ट के अनुसार फेज- 1 में 172.67 मिलियन टन क्षमता वाले 15 कोल प्रोजेक्ट्स को एमडीओ के लिए चिह्नित किया गया है। फेज- 1 के 15 कोल प्रोजेक्ट्स में 6 से उत्पादन शुरू हो चुका है। दूसरे फेज के लिए 13 कोल प्रोजेक्ट्स चिह्नित किए गए हैं। इन 13 कोयला खदानों की क्षमता 80.62 मिलियन टन की है। अब तक एमडीओ को सौंपे गए छह कोल प्रोजेक्ट्स प्रचालन में आ चुके हैं और तीन को लेटर ऑफ अवार्ड जारी किया गया है। कोयला मंत्रालय की एक रिपोर्ट के अनुसार एमडीओ को आंवंटित कोयला खदानों में 30 हजार करोड़ का निवेश हुआ है। मंत्रालय ने अपनी रिपोर्ट में यह नहीं बताया है कि कोयला खदानें एमडीओ के हाथों में जाने के बाद कितनी संख्या में रोजगार सृजित हुआ है। जानकारों के अनुसार गंभीर बात यह है कि एमडीओ यानी निजी कंपनी के हाथों में कोल प्रोजेक्ट्स जाने के बाद यहां आर एंड आर पॉलिसी लागू नहीं होगी। कोल इंडिया में पुनर्वास और पुनर्स्थापन (आरएंडआर) नीति को बंद करने की योजना खदानों को एमडीओ (खान संचालक सह विकासकर्ता) मोड में देने के लिए है, जो खदानों के संचालन और विकास को निजी क्षेत्र के लिए खोल देगा। यह कदम सरकारी स्वामित्व वाली कोल इंडिया की खदानों को एमडीओ मॉडल के माध्यम से निजी क्षेत्र के लिए उपलब्ध कराने के लिए है। कोल इंडिया अगले छह वर्षों में चरणबद्ध तरीके से खनन उपकरणों का आयात बंद करने की योजना बना रही है
एमडीओ मॉडल को बढ़ावा देना
कोल इंडिया खदानों के लिए वैश्विक खुली निविदा के माध्यम से एमडीओ मॉडल को बढ़ावा देना चाहती है, जिससे निजी क्षेत्र को खदानों के संचालन और विकास में शामिल होने का मौका मिलेगा।
सार्वजनिक धन का उपयोग
आर एंड आर नीति में सरकारी धन का उपयोग होता है, जबकि एमडीओ मॉडल निजी क्षेत्र को शामिल करके सरकारी धन का उपयोग कम करेगा एमडीओ मॉडल के तहत, खदानों को निजी क्षेत्र की कंपनियों को ठेके पर दिया जाएगा, जो खदानों के संचालन और विकास के लिए जिम्मेदार होंगे। इससे कोल इंडिया को खदानों के संचालन में खर्च कम होगा और निजी क्षेत्र की कंपनियां अपनी विशेषज्ञता और तकनीक का उपयोग करके खदानों का बेहतर संचालन कर पाएंगी।
श्रम संगठनों ने इसका विरोध किया
इंटक नेता पजय मसीह ने कहा कि कि भारत की सरकार ने कोल इंडिया लिमिटेड के माध्यम से बिना श्रमिक संगठनों से बात किए हुए एमडीओ को लागू करके कोयला खदानों को पूंजीपत्तियों के हवाले कर रही है। पहले से आउटसोर्सिंग के नाम पर कोयला मजदूरों का आर्थिक, मानसिक और शारीरिक शोषण हो रहा है। सरकार और प्रबंधन के इस फैसले से ईसीएल का अस्तित्व मिटाने का राजनीतिक प्रयास चल रहा है। इंटक ने मजबूती से प्रबंधन के इस निर्णय का विरोध किया है। ईसीएल सीएमडी से मांग करते हैं कि मामले पर यूनियनों की बैठक बुलाएं। केकेएससी सेंट्रल कमेटी के सदस्य रतन मसीह ने कहा कि एमडीओ मोड में कोयला बेचने का अधिकार भी निजी कंपनी को देने की तैयारी है। एमडीओ के विरोध सभी श्रम संगठन कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि निजि हाथों में कोयला खदान देने से कोल इंडिया का अस्तित्व खतरे में पड़ जाएगा।