

विवाह एक ऐसा संस्कार है जो दो दिलों के मिलन से ले कर अनेक नए रिश्ते कायम करता है। सबसे महत्त्वपूर्ण जो रिश्ता बनता है, वह पति-पत्नी का है। यह रिश्ता इतना महत्त्वपूर्ण होता है कि दोनों अग्नि को साक्षी मानकर जीवन भर साथ निभाने का वादा करते हैं परंतु थोड़ी सी कड़वाहट किसी भी रिश्ते को मलियामेट कर सकती है। पति-पत्नी का भी रिश्ता भी इससे अछूता नहीं रह पाया है। पति-पत्नी से संबंधित अनेक विवाद अभी भी न्यायालयों में पड़े हैं।
अब प्रश्न यह उठता है कि इस पवित्र बंधन में दरार क्यों आ जाती है, कहां से आ जाती है? जब हम इस पर गौर करते हैं तो हमें अनेक कारण मिल जाते हैं।
आज के युग में जब चारों ओर आधुनिकता का बोला-बाला है, अनेक ऐसे परिवार अब भी हैं जहां पर ब्याह करते समय अपने बच्चों की इच्छा नहीं पूछी जाती। अपनी पसंद एवं दहेज ज्यादा मिलने के लालच में ऐसी लड़की से शादी करवा दी जाती है जो अनुपयुक्त होती है। परिणाम-विवाद, तलाक।
दूसरा सबसे बड़ा कारण है, लड़कियां जिस घर की बहू बनकर आती हैं कुछ दिन तो वे साधारण रूप से रह लेती हैं परन्तु बाद में वे सास-ससुर, ननद, देवर से छोटी-छोटी बातों में उलझ जाती हैं। इनसे उनका पति चिढ़ उठता है और यह विवाद उनके रिश्ते में कड़वाहट घोल देता है।
आजकल एक और बड़ा कारण देखने में आ रहा है, वह है लड़कियों में आधुनिकता के नाम पर अंधी दौड़ । वे भी नौकरी करना चाहती हैं, स्वच्छंद विचरण करना चाहती हैं परंतु यहां यह ध्यान देने योग्य बात यह है कि हमारे भारतीय परिवेश में अभी भी पश्चिमी संस्कृति की पूर्ण छाप नहीं पड़ी है। अभी हमारी मां-बहनें अपनी बहू को पूर्ण स्वच्छंद छोड़ना पसंद नहीं करती। फिर बहू को अपने घर का भी ख्याल रखना होता है। फलतः ऐसी लड़कियां अपनी ससुराल की मर्यादाओं का उल्लंघन कर खुद बखुद अपने रिश्तों में विष घोल देती हैं।
भारतीय समाज मूलतः पिता प्रधान देश रहा है। पुत्र यहां की एक प्रधान आवश्यकता है। अनेक कारणों से यदि पुत्र की प्राप्ति नहीं होती तो कुछ ही दिनों में बात बिगड़ने लगती है और बात बढ़ते-बढ़ते तलाक पर आकर ही समाप्त होती है।
अनेक घर-परिवारों को यौन-शिक्षा के अभाव में भी बरबाद होते देखा गया है। अनेक प्रकार की
गलतफहमियां भी आपसी रिश्ते में दरार पैदा कर देती हैं।
प्रेम विवाह भी अनेक बार असफल होते देखे गये हैं। इसका मूल कारण है प्रेम जाल में फंसकर लड़कियां यह नहीं समझ पाती कि वह जिस से प्रेम कर रही है वह आगे जाकर धोखा भी दे सकता है। फिर वे यह भी नहीं देखती कि वह लड़का स्वावलम्बी है या नहीं। इससे भी रिश्ता बिगड़ने का डर बना रहता है।
इन सब मूल कारणों की जांच करने के बाद हम यदि निम्नलिखित बातों पर ध्यान दें तो हमारे रिश्ते मजबूत व खुशहाल रह सकते हैं-
-सास-ससुर, ननद-देवर, एवं परिवार के अन्य सदस्यों से व्यर्थ की तकरार न करें। उन्हें मां-पिता की तरह आदर एवं भाई-बहन का प्यार दें।
-लड़के-लड़की की शादी करते वक्त उनके रूप, गुण एवं शिक्षा की दोनों को पूर्ण जानकारी दें। -यदि वे एक-दूसरे से बात करना चाहें तो आप बाधा न बनें।
-तिलक-दहेज को कभी अपने रिश्तों पर हावी न होने दें। तिलक-दहेज के चक्कर में अनेक घर बरबाद होते देखे गए हैं।
-यदि आप कहीं घूमने जाना चाहती हैं तो सास-ससुर एवं पति की आज्ञा ले लें। वे इन्कार करें तो रुक जायें। अगली बार वे फिर इन्कार नहीं कर सकते।
-पति की बातों की कभी अवहेलना न करें।
-पति के सामान को संवार कर रखें। कपड़े साफ एवं आयरन करके रखें।
-उनके लिए समय पर टिफिन जरूर तैयार कर दें।
-पति-पत्नी दोनों एक-दूसरे की पुरानी गलतियों को भुला दें। कोई भी भ्रांति मन में न पालें।
-आवश्यकता पड़ने पर स्पष्टीकरण जरूर दें।
-खरीदारी करते समय पति की आमदनी एवं पसंद का जरूर ख्याल रखें।
-अपने मायके की निरर्थक एवं झूठी बढ़ाई कभी न करें।
-मन से मौन भ्रांतियां निकाल दें। यदि आवश्यकता पड़े तो लेडी डाक्टर से मिलें।
-प्रेम विवाह के समय दोनों पक्ष समझदारी से काम लें। गलत चुनाव कभी न करें।
-यदि आप नौकरी करना चाहती हैं तो परिवार के सदस्यों से राय जरूर लें।
-पति भी पत्नी पर ज्यादा दबाव कभी न डालें, न ही उससे एक दासी की तरह व्यवहार करें।
अब वह भी आप की तरह पढ़ी-लिखी हैं और वह अपना अच्छा बुरा खुद सोच सकती हैं।
आप इन तथ्यों को ध्यान में रखकर अपने रिश्ते मधुर बनाए रख सकते हैं।
चन्द्र प्रकाश अम्बष्ट (उर्वशी)