कोलकाता : एक ओर पूरा पश्चिम बंगाल मां दुर्गा की आराधना में व्यस्त है, वहीं दूसरी ओर, असली जीवन में भी एक मां दुर्गा हैं जो ब्लड कैंसर के कारण अपने इकलौते बेटे को खोने के बाद कई वंचित बच्चों के लिये मां बन गयी हैं। शिमंती दास वंचित बच्चों के लिये एक स्कूल चलाती हैं जिसका नाम जॉयजीत दास मेमोरियल स्कूल है। सन्मार्ग से खास बातचीत में शिमंती दास ने कहा कि इस स्कूल का श्रेय वह अपने मृत बच्चे को देना चाहती हैं। शिमंती दास ने कहा, ‘हमारा मुख्य उद्देश्य सामग्रिक और चाइल्ड फ्रेंडली शिक्षा प्रदान करना है। हम प्राथमिक शिक्षा और वंचित बच्चों तक पहुंच बढ़ाने की पहल करते हैं। अपने बच्चों के सामग्रिक विकास में हमारा संस्थान विश्वास करता है और इस कारण हमारी कार्यप्रणाली को एकीकृत और अद्वितीय कहा जाता है। हमने 20 वर्ष पूरे कर लिये हैं और अब मॉर्निंग में 103 स्टूडेंट्स हैं। 2 वर्ष से लेकर 6 वर्ष तक की उम्र के बच्चे यहां हैं और 2 वर्षों तक उन्हें विभिन्न प्रकार का सहयोग देने के बाद उन्हें हम विभिन्न सरकारी स्कूलों में भर्ती कराते हैं।’ उन्होंने कहा कि यह वंचित बच्चों के लिये एक निःशुल्क प्ले स्कूल है। हम रिमेडियल क्लासेज भी देते हैं ताकि एक भी शैक्षणिक वर्ष व्यर्थ ना जाये। बच्चों को पोषण से भरपूर भोजन भी दिया जाता है ताकि उनका स्वास्थ्य ठीक रहे। हाल में मैक्स फैशन की ओर से शिमंती दास को ‘आमियो दुर्गा’ के सम्मान से नवाजा गया। दास ने कहा कि साल में एक बार वह इन वंचित बच्चों की मां के साथ प्रदर्शनी आयोजित करती हैं जहां माएं अपनी स्किल दिखाती हैं। इसका पूरा लाभ उन माताओं में बांट दिया जाता है।
ब्लड कैंसर में खोया इकलौते बेटे को, अब चलाती हैं वंचित बच्चों के लिये स्कूल
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