श्रीनगर (जे के ब्यूरो) : जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ जिले में चिनाब नदी पर बन रहे रतले हाइड्रो प्रोजेक्ट पर फिलहाल खतरा मंडराते देखा जा रहा है। जम्मू-कश्मीर पुलिस के अनुसार, इस प्रोजेक्ट में काम कर रहे 29 मजदूरों के आतंकवादियों से संपर्क के संकेत मिले मिले हैं। प्रोजेक्ट के ये कर्मचारी देश विरोधी और आपराधिक गतिविधियों में संलिप्त थे। आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक, पुलिस ने निर्माणकारी कंपनी से इन कर्मचारियों को काम पर रखने के निर्णय पर पुन: विचार करने को कहा है।
पुलिस का मानना है कि ऐसे लोग परियोजना की सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा उत्पन्न कर सकते हैं। कंपनी को ऐसे श्रमिकों की गतिविधियों पर कड़ी निगाह रखनी चाहिए। मालूम हो कि 850 मेगावॉट की क्षमता वाली यह परियोजना नेशनल हाइड्रोपावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड (NHPCL) और जम्मू-कश्मीर सरकार का संयुक्त उपक्रम है, जिसकी अनुमानित लागत 3700 करोड़ रुपये है। निर्माण कार्य मेघा इंजीनियरिंग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड (MEIL) को दिया गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सन् 2022 में इस परियोजना की नींव रखी थी।
क्या है पूरा मामला
सूत्रों के मुताबिक, विगत 1 नवंबर को यह जानकारी अधिकारियों को मिसली, जो अब सामने आई है। दरअसल पुलिस ने परियोजना में काम कर रहे मजदूरों का सत्यापन किया था। जिसमें यह बात सामने आई कि परियोजना में काम करे 29 मजदूरों में से 5 मजदूर सक्रिय अथवा समर्पण करने वाले आतंकवादियों के रिश्तेदार हैं। एक कर्मचारी का चाचा हिजबुल मुजाहिदीन का आतंकी मोहम्मद अमीन है।
यह आतंकवादी इस परियोजना में काम कर रहे 2 अन्य श्रमिकों का भाई भी है। वहीं एक अन्य कर्मचारी का पिता पहले आतंकवादी रह चुका है हालांकि वह समर्पण कर चुका है। जबकि एक श्रमिक के पिता की पहचान ओवर ग्राउंड वर्कर के रूप में दर्ज है। अन्य 24 कर्मचारियों के खिलाफ भी आपराधिक रिकॉर्ड मिले हैं।
संदिग्ध श्रमिकों को लेकर चिंता
किश्तवाड़ के SSP नरेश सिंह ने मेघा इंजीनियरिंग के मैनेजर को पत्र लिखकर अपनी चिंता जताई थी। पत्र में लिखा गया था कि हाइड्रो प्रोजेक्ट राष्ट्रीय सुरक्षा के लिहाज से महत्वपूर्ण होते हैं और दुश्मन देशों के निशाने पर रहते हैं। ऐसी स्थिति में कंपनी को संदिग्ध मजदूरों की नियुक्ति पर दोबारा विचार करना चाहिए।
कंपनी ने कहा
मजूदरों को हटाना मुश्किल है क्योंकि ये आतंकवादी नहीं हैं। मेघा इंजीनियरिंग की ओर से पत्र का जवाब दिया गया है। कंपनी ने कहा कि श्रमिकों को हटाना मुश्किल है क्योंकि ये खुद आतंकवादी नहीं हैं, न ही ओवर ग्राउंड वर्कर हैं। इनके खिलाफ अभी तक किसी क्रिमिनल केस में दोष भी साबित नहीं हुआ है। हालांकि कंपनी ने आश्वासन दिया कि इन कर्मचारियों की सख्ती से निगरानी की जायेगी।