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'इंटरनेशनल जनमंगल सम्मेलन’ में ‘हर मास - एक उपवास’ का संकल्प

सम्मेलन के अध्यक्ष के तौर पर लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने कहा, पूज्य अंतर्मना ने देश के विभिन्न क्षेत्रों में धर्म, अध्यात्म, संस्कृति, विज्ञान, वैयक्तिक विकास व आत्म विकास के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया।

राष्ट्रीय/ नई दिल्ली : भारत मंडपम में दो दिवसीय ‘इंटरनेशनल जनमंगल सम्मेलन’ आयोजित किया गया जिसमें योग और उपवास के दो संतों - योग ऋषि स्वामी रामदेव जी और जैन संत अंतर्मना आचार्य प्रसन्न सागर जी के दिव्य मार्गदर्शन में, एक जन आंदोलन ‘हर मास - एक उपवास’ (हर महीने 7 तारीख को एक बार उपवास) शुरू किया गया। इस आंदोलन से लाखों लोग जुड़ चुके हैं।

सम्मेलन के अध्यक्ष के तौर पर लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने कहा, पूज्य अंतर्मना ने देश के विभिन्न क्षेत्रों में धर्म, अध्यात्म, संस्कृति, विज्ञान, वैयक्तिक विकास व आत्म विकास के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया। उपवास से शरीर व मन स्वस्थ रहते हैं, इन्द्रियों को वश में किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि मैं भी माह में एक बार उपवास करूंगा।

कार्यक्रम में प्रसन्न सागर जी व स्वामी रामदेव ने कहा कि हर मत, पंथ, परम्परा, धर्म, अनुष्ठान और शुभ प्रसंग में उपवास का समान रूप से प्रावधान और महत्व है। उपवास से शरीर, मन और अंत:करण की शुद्धि होती है जिससे मनुष्य जीते जी जीवन से मुक्त हो जाता है। उन्होंने बताया कि आचार्य प्रसन्न सागर जी ने 557 दिवस तक निरंतर तथा अपने जीवनकाल में अभी तक 18 वर्ष उपवास करके (और अब तक 3500 से ज़्यादा उपवास सिद्ध कर के) ‘उपवास शिरोमणी’ की प्रतिष्ठा प्राप्त की है।

आचार्य बालकृष्ण जी ने रेस्टोरेंट कल्चर को रोगों की उत्पत्ति का सबसे बड़ा कारण बताते हुए कहा कि स्वयं कम भोजन करें अपितु भूखों को भोजन कराइए, यह भी उपवास ही है। केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव, लिवर विशेषज्ञ डॉ. एस. के. सरीन, इंडिया टीवी के चेयरमैन रजत शर्मा, दिल्ली के कैबिनेट मंत्री प्रवेश साहिब सिंह वर्मा, भारतीय शिक्षा बोर्ड के चेयरमैन श्री एन. पी. सिंह, आचार्य लोकेश मुनि, महंत बालकनाथ योगी जी महाराज, बाबा सत्यनारायण मौर्य और पतंजलि रिसर्च इंस्टीट्यूट के डायरेक्टर डॉ. अनुराग वार्ष्णेय ने उपवास विज्ञान पर व्याख्यान दिए। डॉ. यशदेव शास्त्री, साध्वी देवप्रिया, बहन ऋतम्भरा भी कार्यक्रम में उपस्थिति रहे।

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