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समुद्री सुरक्षा देश की संप्रभुता के लिए आवश्यक, G7 देश आएं साथ : जयशंकर

विदेश मंत्री ने महत्वपूर्ण समुद्री और समुद्र-तल के ढांचे की सुरक्षा के लिए बेहतर समन्वय की भी जरूरत बताई।

नई दिल्ली : विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने बुधवार को कनाडा में आयोजित जी7 देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक में भाग लेते हुए हिंद-प्रशांत सहयोग पर चर्चा की और भारत के उस दृष्टिकोण को साझा किया जिसमें सुरक्षित समुद्री क्षेत्र पर जोर दिया गया है। बैठक का मुख्य उद्देश्य वैश्विक व्यापार और आर्थिक स्थिरता के लिए खुले और सुरक्षित जलमार्गों को बनाए रखना था।

समुद्री सुरक्षा महत्वपूर्ण

जयशंकर ने सोशल मीडिया पर कहा कि उन्होंने जी7 विदेश मंत्रियों के, समुद्री सुरक्षा और समृद्धि पर केंद्रित सत्र में भाग लिया, जहां उन्होंने भारत के ‘महासागर दृष्टिकोण’, हिंद-प्रशांत सहयोग और बंदरगाह-आधारित विकास पहलों के जरिये समुद्री सुरक्षा के भारतीय दृष्टिकोण को रेखांकित किया।

उन्होंने 'विश्वसनीय और विविधीकृत समुद्री संपर्कों' की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा कि भारत अपने पोत-परिवहन ढांचे के आधुनिकीकरण और लचीले व्यापार गलियारों के निर्माण के लिए निरंतर प्रयासरत है।

समुद्री सुरक्षा के लिए समनव्य की आवश्यकता

विदेश मंत्री ने महत्वपूर्ण समुद्री और समुद्र-तल के ढांचे की सुरक्षा के लिए बेहतर समन्वय की भी जरूरत बताई। उन्होंने समुद्री खतरों और आर्थिक अपराधों — जैसे समुद्री डकैती, तस्करी और अवैध, अपंजीकृत व अनियमित तरीके से मछली पकड़ने — पर चिंता व्यक्त की और कहा कि इन चुनौतियों से निपटने के लिए गहरे अंतरराष्ट्रीय सहयोग की आवश्यकता है।

जयशंकर ने भारत की भूमिका को “समुद्री क्षेत्र में प्रथम प्रतिक्रियादाता” के रूप में रेखांकित करते हुए कहा कि नई दिल्ली हिंद-प्रशांत क्षेत्र में मानवीय सहायता और आपदा राहत (एचएडीआर) साझेदारी को संयुक्त अभ्यासों और रसद समझौतों के माध्यम से मजबूत करना चाहती है।

समुद्री व्यापार समृद्धि का आधार

उन्होंने कहा कि समुद्री व्यापार राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय समृद्धि का आधार है और सुरक्षित जलमार्ग और सक्षम बंदरगाह वैश्विक एजेंडे को सुरक्षित करने में केंद्रीय भूमिका निभाते हैं। जयशंकर ने कहा, “समुद्र के कानून पर ‘यूएनसीएलओएस’ का पालन किया जाना चाहिए।” उन्होंने भारत की नियम-आधारित समुद्री व्यवस्था के प्रति प्रतिबद्धता को दोहराया। यह समझौता सभी समुद्री गतिविधियों के लिए कानूनी ढांचा प्रदान करने वाली एक अंतरराष्ट्रीय संधि है।

जयशंकर वर्तमान में नियाग्रा में जी7 भागीदार देशों के साथ आयोजित एक सत्र में भाग लेने पहुंचे हैं। इससे पहले उन्होंने सऊदी अरब के विदेश मंत्री प्रिंस फैसल बिन फरहान से मुलाकात की और द्विपक्षीय संबंधों, क्षेत्रीय मुद्दों, संपर्क परियोजनाओं और ऊर्जा सहयोग पर चर्चा की।

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