नई दिल्ली: पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) में सोमवार 28 सितंबर से पाकिस्तान के सुरक्षाबलों और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़पें चल रही हैं। जिसमें 3 पुलिस कर्मी और 5 नागरिक मारे गए। प्रदर्शनकारियों पर यहां सेना द्वारा दमन करने और उनसे बर्बरता किए जाने का आरोप लगाया जा रहा है।
दरअसल पीओके के लोग पाकिस्तान सरकार से मुफ्त राशन, बिजली बिलों की दरों में कटौती, मुफ्त शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं की मांग कर रहे हैं। विरोध प्रदर्शनों का नेतृत्व जम्मू कश्मीर संयुक्त अवामी एक्शन कमेटी कर रही है। कमेटी ने सरकार को अपनी 38 सूत्री मांगों का ज्ञापन सौंप रखा है। पीओके में चल रहे हिंसक विरोध प्रदर्शनों का केंद्र मुज्जफराबाद बना हुआ है।
प्रदर्शनकारियों का कहना है कि उनको मूल भूत सुविधाओं के पाकिस्तान सरकार वंचित रखे हुए है। जेकेजेएसी ने अपनी मांगे पूरी होने तक संघर्ष जारी रखने का एलान किया है। हिंसा भड़कने, पुलिसकर्मियों और नागरिकों की मौत के बाद पाकिस्तान सरकार के एक प्रतिनिधिमंडल ने जेकेजेएसी के प्रतिनिधियों से संवाद शुरू किया है। तीन नागरिकों की मौत के जनाजे में हजारों की संख्या में लोग जुटे जो कि पाकिस्तान सरकार के लिए लाल सिग्नल है।
पाक को मानवाधिकार हनन के लिए जवाबदेह ठहराया जाए
वहीं भारत के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने एक संवाददाता सम्मेलन में पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में पिछले कुछ दिनों से हो रही हिंसा और 8 मौत के लिए पाकिस्तान के दमनकारी रवैये को जिम्मेदार ठहराया।
पाक अधिकृत कश्मीर में विरोध-प्रदर्शनों की रिपोर्ट हमने देखी है, जिसमें पाकिस्तानी बलों द्वारा निर्दोष नागरिकों पर किए गए अत्याचार भी शामिल हैं। हमारा मानना है कि इन क्षेत्रों के लोगों के प्रति दमनकारी रवैये और संसाधनों की संगठित लूट और जबरन कब्जे का नतीजा विरोध प्रदर्शन है। पाकिस्तान को मानवाधिकार हनन के लिए जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए।