प्रसेनजीत, सन्मार्ग संवाददाता
दार्जिलिंग : उत्तरबंगाल में हाल की बाढ़ और भूस्खलन से हुई भारी तबाही के बाद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बुधवार को एक बड़ी घोषणा की। प्रशासनिक बैठक की दौरान उन्होंने मुख्य सचिव मनोज पंत को निर्देश दिया है कि वे पुनर्निर्माण और आपदा प्रबंधन के लिए एक विशेष विशेषज्ञ समिति गठित करें। इस समिति में वित्त, आपदा प्रबंधन, सिंचाई, स्वास्थ्य, लोक निर्माण, बिजली, वन, पंचायत, एनबिडीए और गृह विभाग के वरिष्ठ प्रतिनिधि शामिल होंगे। यह टीम हर सात दिन में रिपोर्ट तैयार कर मुख्यमंत्री को सौंपेगी और राहत व पुनर्निर्माण कार्यों की निगरानी करेगी।
समिति में मंत्रीमंडल के प्रतिनिधि के रूप में मलय घटक, गौतम देव, विधायक निर्मल राय (धूपगुड़ी), मंत्री अरूप विश्वास (मयनागुड़ी), उदयन गुहा, जीटीए चीफ अनित थापा और डीजी राजीव कुमार भी रहेंगे ताकि कार्य में तालमेल बना रहे। मुख्यमंत्री ने कहा कि सिंचाई विभाग की किसी भी परियोजना को मंजूरी देने से पहले लोक निर्माण विभाग की सलाह आवश्यक होगी। डोलोमाइट से प्रभावित सड़कों और चाय बागानों की सफाई कर, उससे होने वाली आमदनी को सिंचाई कार्यों में लगाया जाएगा। उन्होंने बताया कि अलीपुरदूआर, जलपाईगुड़ी और कोचबिहार में 1,128 मीटर तटबंध टूट चुके हैं, जबकि पूरे उत्तरबंगाल में 12,680 मीटर क्षेत्र प्रभावित हुआ है। ममता ने कहा कि भूटान से आने वाले जल प्रवाह को नियंत्रित करने का रास्ता निकाला जाए और इंडो-भूटान रिवर कमिटी में बंगाल का प्रतिनिधित्व हो।
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इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने एक नया ‘पश्चिम बंगाल राज्य आपदा प्रबंधन कोष’ खोलने की घोषणा भी की, जिसमें इच्छुक नागरिक दान कर सकते हैं। सभी विधायकों और मंत्रियों ने इस फंड में 1 लाख रुपये देने का संकल्प लिया है, जबकि ममता स्वयं अपनी बचत से 5-5 लाख रुपये देंगी। उन्होंने कहा, केंद्र ने पांच साल से आवास योजना, 100 दिन का काम और शिक्षा मिशन के फंड रोक रखे हैं, फिर भी हम जनता के प्रेम से आगे बढ़ रहे हैं। अब समय है कि सब मिलकर बंगाल को फिर से खड़ा करें।