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भारत की समुद्री सीमाएं होंगी और सुरक्षित, गश्ती में उतरा 'अमूल्य'

भारतीय तटरक्षक बल के अधिकारियों के मुताबिक 'अमूल्य' निगरानी, ​​खोज एवं बचाव, तस्करी विरोधी अभियान और प्रदूषण निवारण सहित कई प्रकार के मिशनों को अंजाम देगा।

नई दिल्लीः नयी पीढ़ी के अदम्य श्रेणी के तेज गति वाले गश्ती पोत 'अमूल्य' को भारतीय तटरक्षक बल (आईसीजी) में शामिल कर लिया गया है। अधिकारियों के मुताबिक 'अमूल्य' निगरानी, ​​खोज एवं बचाव, तस्करी विरोधी अभियान और प्रदूषण निवारण सहित कई प्रकार के मिशनों को अंजाम देगा, जिससे देश के पूर्वी तट की सुरक्षा में भारतीय तटरक्षक बल (आईसीजी) की भूमिका को मजबूती मिलेगी।

एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि 'अमूल्य' सुरक्षित और स्वच्छ समुद्र सुनिश्चित करने तथा राष्ट्र के समुद्री हितों की रक्षा करने की आईसीजी की इच्छा और प्रतिबद्धता का प्रतीक है। अधिकारी ने कहा, ‘‘ गोवा शिपयार्ड लिमिटेड द्वारा डिजाइन और निर्मित यह 51 मीटर लंबा एफपीवी (त्वरित गश्ती पोत) स्वदेशी जहाज निर्माण में एक नया मानदंड स्थापित करता है। ’’

60 फीसदी स्वदेशी उपकरण से बना अमूल्य

अधिकारियों ने कहा कि 60 प्रतिशत से अधिक स्वदेशी उपकरणों से युक्त गश्ती पोत 'अमूल्य' रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की दिशा में भारत की निरंतर प्रगति को रेखांकित करता है। ह पोत आईसीजी के परिचालन संबंधी दृष्टिकोण और सरकार की 'आत्मनिर्भर भारत' और 'मेक इन इंडिया' पहलों के बीच तालमेल का भी एक प्रतीक है।

पोत पर आधुनिक तोपें भी मौजूद

आईसीजी ने कहा कि 3,000 किलोवाट के दो उन्नत डीजल इंजनों से संचालित यह पोत 27 समुद्री मील की अधिकतम गति और 1,500 समुद्री मील की परिचालन क्षमता प्रदान करता है। इस गश्ती पोत में स्वदेशी रूप से विकसित नियंत्रणीय पिच प्रोपेलर और उच्च परिशुद्धता वाले गियरबॉक्स लगे हुए हैं। ईसीजी ने एक बयान में कहा, ‘‘ यह गश्ती पोत 30 मिलीमीटर(मिमी) सीआरएन-91 तोप और 12.7 मिमी वाली स्थिर दो रिमोट-नियंत्रित तोपों से लैस है, जो उन्नत लक्ष्य प्राप्ति और अग्नि-नियंत्रण प्रणालियों द्वारा समर्थित हैं। ’’

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