नई दिल्ली: राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ‘अमेरिका को फिर से किफ़ायती बनाने’ का वादा किया था। लेकिन, हुआ इसका ठीक उल्टा है। भोजन, ऊर्जा और घरेलू खर्च पिछले कुछ वर्षों की तुलना में तेजी से बढ़ रहे हैं। 2025 में खाद्य कीमतों में 3.4% की वृद्धि का अनुमान है, जो 20 साल के औसत से ज़्यादा है, जबकि 2020 की तुलना में बिजली के बिल 34% बढ़ गए हैं।
वहीं अर्थशास्त्री ट्रंप के व्यापक टैरिफ और उनके ‘वन बिग ब्यूटीफुल बिल एक्ट’, जिसने स्वच्छ ऊर्जा कर क्रेडिट को भी निरस्त कर दिया, को महंगाई को बढ़ावा देने के लिए जिम्मेदार ठहराते हैं।
दरअसल 800 डॉलर तक के सामान के शुल्क-मुक्त आयात की अनुमति देने वाले ‘डे मिनिमिस’ नियम को खत्म करने से सप्लाई चेन बाधित हुई हैं और इंडिया पोस्ट जैसी वाहक कंपनियों को अमेरिकी डिलीवरी रोकने पर मजबूर होना पड़ा है, जिससे लागत बढ़ गई है।
2400 डॉलर का नुकसान होगा
इस मामले पर सीनेटर पैटी मरे का कहना है कि ट्रंप के टैरिफ के कारण इस साल औसत अमेरिकी परिवार को 2,400 डॉलर का नुकसान होगा। किराने के सामान पर सबसे ज्यादा असर पड़ रहा है। मेक्सिको, कनाडा, चीन और एशियाई निर्यातकों से आने वाले सामानों पर टैरिफ लगने से ताजी चीजों की कीमतें 4% तक और कॉफी व चॉकलेट जैसी जरूरी चीजों की कीमतें 37% तक बढ़ जाएंगी।
हालात बद से बदतर हो गई
ऊर्जा की लागत भी बढ़ रही है। स्टील और एल्युमीनियम पर टैरिफ लगने से बिजली उत्पादन के लिए बुनियादी ढांचे पर खर्च बढ़ गया है और 2034 तक घरेलू बिलों में 170 अरब डॉलर की बढ़ोतरी होने का अनुमान है। आलोचकों का कहना है कि ट्रंप का व्यापार दांव उल्टा पड़ गया है- जीवन को महंगा बना दिया है, कम आय वाले परिवारों पर सबसे ज्यादा बोझ डाला है और वॉल स्ट्रीट को इस बात की चिंता में डाल दिया है कि हालात और भी बदतर हो सकते हैं।