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Dev Deepawali : आज देवभूमि की तरह जगमगाएगा रामकृष्णपुर गंगा तट

एक हजार दीपों से शुरू होकर अब एक लाख तक पहुंचा उत्सव

हावड़ा : भारत की सांस्कृतिक राजधानी कोलकाता विभिन्न धार्मिक और सांस्कृतिक त्योहारों के लिए प्रसिद्ध है। इस शहर के लोगों में दुनिया के विभिन्न हिस्सों के त्योहारों, शैलियों या खान-पान को अपनाने, उन्हें अपने सौंदर्यबोध के साथ मिलाने और अंततः अपने कैलेंडर में एक नया त्योहार जोड़ने का गुण है।

देव दीपावली उनमें से एक नया त्योहार है। बंगाल में पहली बार गंगा किनारे बसे हावड़ा के रामकृष्णपुर घाट से बंगाल में देव दीपावली की परंपरा की शुरुआत हुई थी। पंद्रह वर्ष पहले आरंभ हुआ यह आयोजन आज भव्य सांस्कृतिक पर्व का रूप ले चुका है। इस बार घाट को एक लाख दीपों से सजाने की तैयारी है। हावड़ा के रामकृष्णपुर घाट पर देव दीपावली के साथ ही भव्य गंगा आरती भी होती है। इस आरती में 70 से 80 लोगों की विशेष टीम शामिल होती है।

यह गंगा आरती बनारास की गंगा आरती के तर्ज आयोजित की जाती है। 15 साल पहले शुरू हुई परंपरा के कारण अब हर शाम रामकृष्णपुर घाट गंगा आरती की भव्यता का गवाह बनता है। यहां गंगा आरती की शुरुआत सम्मिलित सद्भावना नामक संस्था की तरफ से की गयी थी। इस बार हावड़ा के रामकृष्णपुर घाट एवं आसपास के घाट 1 लाख दीयों से जगमगाएंगे।

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एक हजार दीपों से शुरू होकर अब एक लाख तक पहुंचा उत्सव

वर्ष 2010 के आसपास जब आयोजन की शुरुआत हुई थी, तब केवल एक हजार दीपक जलाये गये थे। आज यह संख्या बढ़कर एक लाख तक पहुंच गयी है। कार्तिक पूर्णिमा की रात रामकृष्णपुर घाट दीपों की सुनहरी रोशनी में नहाएगा। विक्रांत दुबे ने बताया कि देव दीपावली को ग्लैमरस रूप देकर नयी पीढ़ी को परंपरा से जोड़ा गया है। युवा दीप जलाते हैं, सेल्फी लेते हैं और सोशल मीडिया पर साझा करते हैं।

इससे संस्कृति और आधुनिकता का सुंदर संगम देखने को मिलता है। देव दीपावली की शुरुआत के पीछे हमारा उद्देश्य युवाओं को अपनी सांस्कृतिक विरासत के प्रति जागरूक करना था। आज कार्यक्रम की भव्यता को देखते हुए लगता है, हमारा उद्देश्य सफल रहा है। आज सैकड़ों की संख्या में लोग खुद से दीये लेकर घाट को सजाते हैं।

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